कविता

श्री राम आराध्य हमारे

श्री राम आराध्य हमारे।
जन जन की आंखों के तारे।
मर्यादा जिनसे है शोभित,
सारा जग है जिनसे मोहित,
फैलाए जिनने उजियारे।
श्री राम आराध्य हमारे।
नाम दूसरा दशरथ नंदन,
महके जिनका जीवन चंदन,
इनसे  सत्य के फूटे धारे।
श्री राम आराध्य हमारे।
पत्नि जनक दुलारी सीता,
क्रोध लोभ मद जिनने जीता,
जिसने वचन पिता के धारे।
श्री राम आराध्य हमारे।
शापित सती अहिल्या तारी,
शबरी जिनको थी अति प्यारी,
शबरी के श्री राम दुलारे।
श्री राम आराध्य हमारे।
रावण का अभिमान घटाया,
सत्य का युद्ध में मान बढ़ाया,
क्रोधी दुष्ट दशानन मारे।
श्री राम आराध्य हमारे।
हनुमान से मन का नाता,
लक्ष्मण भरत है इनके भ्राता,
दीन हीन  के रहे सहारे।
श्री राम आराध्य हमारे।
कलयुग इनका नाम अधारा,
नाम है ‌इतना इतना प्यारा,
तुलसी बाल्मीक के प्यारे।
श्री राम आराध्य हमारे।

— बृंदावन राय सरल

बृंदावन राय सरल

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