हास्य व्यंग्य

हँसना मना थोड़े ही है

कवि श्री प्रशांत चौधरी की कलम से दर्द देखिए लालू के लाल का, यथा-

“तुम पिज्जा खाकर पली बढ़ी,
मैं सतुआ, मडूआ, घोर प्रिये।
तुम राय दरोगा की पोती,
मैं सन ऑफ चारा चोर प्रिये।
तुम पेप्सी कोला पीती हो,
मैं पीता कड़वे घूंट प्रिये।
पप्पा है तेरे महलों में,
और बप्पा मेरे जेल प्रिये।
तुम एमबीए तक पढ़ी हुई,
और मैं हूं 9वीं फेल प्रिये।
नहीं तेल बचा अब लालटेन में,
अब ढोल में है बस पोल प्रिये।
है चमक चांदनी रूप तेरा,
मैं बेलूरा, बकलोल प्रिये।
अब साथ रहे या रहे अलग,
लगता नहीं कोई भेद प्रिये।
कहकर मिलार्ड से करवा दो,
अपना संबंध -विच्छेद प्रिये।”

अब मेरी लेखनी यह वमन कर रही है-

“दीवाली से याद आया
यह एशियन पेंट्स
भले ही
पाँच साल नहीं चल पाए,
परन्तु उसकी बाल्टी
10 साल नहाने के काम
जरुर आती है!
हँस दीजिए, भाई !
हँसना मना थोड़े ही है।”

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.

One thought on “हँसना मना थोड़े ही है

  • यह एशियन पेंट्स
    भले ही
    पाँच साल नहीं चल पाए,
    परन्तु उसकी बाल्टी
    10 साल नहाने के काम
    जरुर आती है!
    हँस दीजिए, भाई !
    हँसना मना थोड़े ही है।”
    वाह!

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