बाल कविता

बाल दिवस

बाल दिवस की वेला है,
बच्चों का लगा मेला है,
रिंकू-टिंकू चुन्नू-मुन्नू,
कोई नहीं अकेला है.
कोई खाता चाट-पकौड़ी,
कुल्चे-छोले और कचौड़ी,
आओ कुल्फी-फलूदा खाओ,
सुनकर मुन्नी आई दौड़ी.
बच्चों ने है दुकान लगाई,
बच्चों ने ही मौज उड़ाई,
फिर कब बाल दिवस आएगा,
पढ़ने की छुट्टी मौज-मलाई.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244