लघुकथा

बसंत बहार

हमेशा की तरह सुबह होते ही श्वेता सैर पर निकली. पूरे रास्ते में बैंगनी रंग के शहनाई जैसे फूल बिखरे पड़े थे. ऐसा लग रहा था मानो प्रदीप कुमार और बीना राय ताजमहल फिल्म के गाने ”पांव छू लेने दो फूलों को इनायत होगी” की शूटिंग चल रही हो और वह इस गीत को गा रही थी. नवंबर के इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में बसंत बहार यहां पूरे निखार पर होता है.
बैंगनी रंग के शहनाई जैसे बसंत ऋतु के ये फूल उसे 62 साल पहले 1959 में ले गए. उनके म्यूजिक के अनूप सर ने उन्हें बसंत पंचमी के लिए प्यारा-सा गीत सिखाया और उस पर नृत्य के स्टैप भी सिखाए, जो जल्दी ही सबने सारे स्टैप कैच कर लिए. अगले दिन फंक्शन में यह आइटम सुपर हिट रहा. बसंत पंचमी का यह गीत और नृत्य के स्टैप आज भी उसे याद हैं, क्योंकि वह जिस भी स्कूल में गई बसंत पंचमी का वह गीत और नृत्य अपनी छात्राओं को सिखाती रही.
”हम अपने हुनर को जितना बांटें उतना ही बढ़ता जाता है” सिद्धांत को मानने वाली श्वेता समय आने पर अपनी छात्राओं के साथ प्रोत्साहन देने के हुनर का प्रयोग करती रही. बसंत बहार की यह महफिल आज भी सुवासित है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244