लघुकथा

बासी रोटी!

”धवन के ससुर साहब की डेथ हो गई है.” स्कूल में शोक-समाचार आते ही स्टॉफ सेक्रेटरी ने तुरंत दो अध्यापिकाओं को इस मुश्किल घड़ी में उनके साथ खड़े होने को उनके घर भेजा.
छुट्टी के बाद, शाम को, अगले दिन एक-एक करके सभी अध्यापिकाएं शोक प्रदर्शन करने उनके घर जाती रहीं.
तीसरे दिन उठाला कर दिया गया, चौथे दिन धवन स्कूल आ गई. उसके चेहरे पर वही सदैव जैसी स्मित! शोक का कोई नामोनिशान नहीं!
अजीब तो सबको लगा ही, किसी ने पूछ ही तो लिया! ”इतनी जल्दी आप ड्यूटी पर आ भी गईं? कुछ दिन तो घर में रहना था!”
”हमारे ससुर साहब का जाना कोई शोक की बात थोड़े ही है! उम्र 84 साल हो गई थी, भले-चंगे थे. कोई हारी-बीमारी नहीं, खाते-पीते गए हैं. उसके बुलावे को कोई रोक सका है! फिर मेरे घर पर रहने से वे वापिस तो नहीं न आ सकते!” पूछने वाली अपने मन के कसैलेपन पर शर्मिंदा हो रही थी.
”सही बात है.” किसी ने सुर मिलाया.
”हमारी सासू मां जी ने सभी बहुओं को ड्यूटी पर भेज दिया.”
कुछ दिनों तक उनके ससुर साहब की बातें ही चलती रहीं.
”बेटा नवीं क्लास में है, उसे बराबर रोज एक घंटा गणित पढ़ाते रहे. उस दिन भी पढ़ाया था.”
”भले ही वे शहर में रहने लगे थे, पर अपने गांव की मिट्टी को नहीं भूल सके थे. रोज रात को अपने लिए दो रोटियां सिकवा के रखते थे और सुबह छाछ के साथ खाते थे.” धवन ने बड़ी शान से बताया.
”बासी रोटी खाते थे वे!” समय और समां कैसा भी हो, कुछ लोग बिना टोके रह ही नहीं सकते.
”बासी रोटी में कोई दोष है क्या?” धवन ने अपनी वही स्मित बनाए रखी, ”हमने कभी पूछा नहीं, पर उन्हें बासी रोटी में कुछ विशेष लगता होगा, तभी तो वे जान-बूझकर बासी रोटी खाते थे.
”हां होती है न विशेषता बासी रोटी में,” गृह विज्ञान की अध्यापिका ने इसका राज खोला, ”सेलेनियम और ऐंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है बासी रोटी. इस कारण यह त्वचा के लिए एक पौष्टिक आहार बन जाती है. यदि कोई इसका सेवन नहीं कर सकता तो इसकी पेस्ट चेहरे पर जरूर लगा सकता है. बासी रोटी का सेलेनियम स्किन की इलास्टिसिटी को बढ़ाकर झुर्रियां और लूज स्किन की समस्या को दूर करता है ” सुनकर सब हैरान थीं.
”शायद इसी लिए हमारे ससुर साहब को झुर्रियों और लूज स्किन की कोई समस्या नहीं थी. उनका चेहरा एकदम जवां-जवां लगता था, आपने तो देखा ही था उनको!” धवन ने आशालता को संबोधित करते हुए कहा.
”हां जी, बिलकुल जवां लगते थे, उनकी बातें भी जवानों जैसी लगती थीं. मुझे तो लगा ही नहीं, कि वे 84 साल के होंगे.” आशालता जी तो आशा की बेल ही थीं.
”लो हम तो ऐंवे ही बासी रोटी कामवाली को दे देते हैं, वो बड़े प्रेम से वहीं खा भी लेती है.” एक ने कहा.
”तभी तो वो इतनी चुस्त-फुर्त होती हैं.” गृह विज्ञान की अध्यापिका ने अपनी मुहर लगाई.
”चलो चलिए, बासी रोटी खाइए, गृह विज्ञान की अध्यापिका के गुण गाइए.” कहते हुए सब उठ गईं, मध्यांतर समाप्त होने की घंटी जो बज गई थी!

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “बासी रोटी!

  • *लीला तिवानी

    सेलेनियम और ऐंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है बासी रोटी। इस कारण यह आपकी त्वचा के लिए एक पौष्टिक आहार बन जाती है। यदि आप इसका सेवन नहीं कर सकते तो चेहरे पर जरूर लगा सकते हैं। क्योंकि सेलेनियम आपकी स्किन की इलास्टिसिटी को बढ़ाकर झुर्रियां और लूज स्किन की समस्या को दूर करता है।

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