कवितापद्य साहित्य

अच्छाई – तुम्हारी पहचान

मुस्कुराकर, न जाने कितने जंग जीते हैं
तो क्या हुआ, अगर एक बार हार भी गए तो!
तुम फूल की तरह हमेशा महकना
किसी की बात से कभी न बहकना!

काँटों से भरा रास्ता तो पार कर लिया
और जिस सादगी से तुम ये जीवन जी रहे !
हमेशा सभी के दिलों में धड़कना
गलत रास्तों में कभी न भटकना!

लक्ष्य जब न दिखे, कुहासा हो हर जगह
तुम ध्यान में उस ईश को रखना और
हर दिन तुम खुद निखरना
किसी भी आंधी से न बिखरना!

तुम्हारी अच्छाई ही तो तुम्हारी पहचान है
तो क्या हुआ, अगर किसी को दिखता नहीं!
गिरते हुए को सहारा दे, तुम भी संभलना
और अपने आपको, कभी न बदलना!

~ रूना लखनवी

रूना लखनवी

नाम- रूना पाठक उप्पल (रूना लखनवी) पता- दिल्ली, भारत मैंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातकोत्तर किया है। वर्तमान में, मैं एक फार्मास्युटिकल कम्पनी में वरिष्ठ प्रबंधक की तरह कार्यरत हूँ। साहित्यिक उपलब्धि :- वूमेन एकस्प्रेस, दक्षिण समाचार प्रतिष्ठा, आज समाचार पत्र , कोलफील्ड मिरर , अमर उजाला काव्य (ऑनलाइन) , पंजाब केसरी (ऑनलाइन) , मॉम्सप्रेस्सो में कविताएँ, लघु कथा कहानी, स्वतंत्र अभिव्यक्ति की रचनाएँ प्रकाशित। सम्पर्क https://www.facebook.com/Runa-Lakhnavi-108067387683685 सम्मान: 1. मॉम्सप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान; 2. राष्ट्रीय कवयित्री मंच- नारी शक्ति सम्मान 2020 3. साहित्य संगम संस्थान- सम्मान 4. अभिनव साहित्यिक मंच - सम्मान