लघुकथा

आदमी

दो कुत्तों की नजर एक साध कचरे मे पड़े  मटन बिरयानी की पत्ल पर पड़ी.दोनो ही एक साथ पत्तल पर झपट पड़े.तभी दोनों में से एक कुत्ते ने दिमाग लगाया और बोला “थोड़ा रुको मेरी बात सुनो इसे हम आधा आधा बाद में खा लेंगें चलो कुछ और भी मिले तो ढूंढ लेते हैं.खाने का मजा दोगुना है जायेगा.
            दूसरे कुत्ते को बात पसंद आ गयी वह तुरंत वहाँ से हट कर खाना ढूंढने चला गया.वह बड़ी तल्लीनता से खाना ढूंढने लगा ये सोचकर कि पहला कुत्ता भी खाना ढूंढ रहा है,कुछ ना मिला तो वह उसी जगह पर वापस आ गया पर यह क्या  पहला कुत्ता आराम से पत्ल चाट रहा था.जिसे देखकर दूसरे कुत्ते का पारा चढ़ गया वह गुर्राते हुए कहने लगा “साला आदमी कहीं का,,धोखा देकर तुझे शर्म नही आती”.पहले ने कहा तूने
तू ने मुझे आदमी कहा मुझे गाली दी.दूसरे ने कहा हाँ दी,,कितना स्वार्थी है रे तू,बिल्कुल आदमी जैसा,और वह उस पर झपट पड़ा.पहला कुत्ता खुद को छुडाने की कोशिश करने लगा.
— अमृता राजेंद्र प्रसाद

अमृता जोशी

जगदलपुर. छत्तीसगढ़