गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

प्रेम बरसा रहे हो मुझ पर सावन की तरह,
हक भी जताते हो तुम साजन की तरह|
तुम्हारी ही पनाहों में बीते  मेरी शाम,
तड़पा रही है तेरी याद मुझे तपन की तरह|
पिघल ना जाऊं कहीं तेरी बाहों में हम दम,
सुलग रहे हैंअब जज्बात  अगन की तरह|
तुम्हारे ही नाम से अब जानेंगे मुझे लोग,
लगता है सब कुछ सुखद सपन की तरह|
होगी मेरी जरूर पूरी मुरादों वाली रात,
झिलमिल तारों सा आंगन है गगन की तरह|.
जँचता नहीं मुझे अब तेरे सिवा कोई और
बस गए हो मेरे इन नैनों में अंजन की तरह|
“मीरा” की तो आदत है प्रेम में विष पीने की,
अमृत उसे बना देना तुम भी मोहन की तरह|
— सविता सिंह मीरा 

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - meerajsr2309@gmail.com