गीत/नवगीत

फौज़ी

ऐ सैनिक,फौज़ी,जवान, है तेरा नितअभिनंदन।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।

गर्मी,जाड़े,बारिश में भी,तू सच्चा सेनानी
अपनी माटी की रक्षा को,तेरी अमर जवानी
तेरी देशभक्ति लखकर के,माथे तेरे चंदन।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।

आँधी-तूफाँ खाते हैं भय,हरदम माथ झुकाते
रिपु तो तुझको देख सिहरता,घुसपैठी थर्राते
सीमाओं के प्रहरी तू तो,वीर शिवा का नंदन।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।

तू सीमा पर डँटा हुआ पर,हम त्यौहार मनाते
तू जगता,मौसम से लड़ता,हम नींदों में जाते
तेरे कारण खुशहाली है,किंचित भी ना क्रंदन ।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।

मात-पिता,बहना-भाई सब,तेरे भी हैं नाते
तू पति है,तो पुत्र भी चोखा,तुझको सभी सुहाते
पर अपने इस मुल्क़ की ख़ातिर,छोड़े तू सब बंधन।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।

तुझसा कोई और न दूजा,त्याग तिरा यशगानी
केवल इस माटी के नामे,तूने की ज़िंदगानी
बोले नित जयहिंद का नारा,तेरा पावन तन-मन।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।

लोकतंत्र है तुझसे रक्षित,सेवा में तू हर पल
लिये समर्पण,त्याग औ’ निष्ठा,तू गंगा की कल-कल
परमवीर तू,महाबली भी,गाता है जन-गण-मन ।
अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।।

— प्रो. शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल-khare.sharadnarayan@gmail.com