लघुकथा

खुजली

आज खोजीराम ने अपनी खुजली पर तनिक नियंत्रण पा लिया था. वह खुश था, लेकिन किस कीमत पर! वह सोच रहा था.
पता नहीं माता-पिता ने क्या सोचकर उसका नाम खोजीराम रखा था, पर सब लोग उसे खुजली प्रसाद कहते थे.
इसका भी एक कारण था. नाम खोजीराम था, तो कुछ-न-कुछ ढूंढना उसका शुगल था. वह खोजता भी रहता था. यह दीगर बात है, कि वह दूसरों की खुशी खोजता था, पर खुश होने के लिए नहीं, उसे खुजाने में मजा आता था.
चाचा की लॉटरी निकली, तो उसके हाथ में खुजली.
पड़ोसियों की चारमंजिली बिल्डिंग बननी शुरु हुई, तो उसके सिर में खुजली.
बड़े भाई ने कार ली, तो उसके पैर में खुजली.
वोटिंग की लाइन में खड़ा था, एक सामाजिक कार्यकर्त्ता ने उसके बहुत पीछे खड़े सज्जन को कहा- ”अंकल जी आप यहां क्यों खड़े हैं? सीनियर सिटीजन वाली लाइन तो खाली पड़ी है, आइए आपको वहां ले चलूं.” बस शुरु हो गई उसके तन-बदन में खुजली!
इस खुजली ने तो उसे परेशान कर दिया.
“खुजली की बीमारी आज की नहीं है, शायद आदि काल से ही होगी”! वह सोच रहा था.
बचपन में चौमासे में भोले बाबा नाम के एक संत उसके गांव में आए थे. नाम भोले बाबा, लेकिन गज़ब के चतुर! उड़ती चिड़िया के पर गिन लें. भोले बाबा ने एक आख्यान सुनाया था-
”जीते जी स्वर्ग जाने के इच्छुक एक व्यक्ति ने भोले बाबा को अपनी इच्छा बताई. बाबा ने बहुत समझाया, कि ऐसा संभव नहीं है. लेकिन वह माना कहां? तब बाबाजी ने उसको एक उपाय बताया. तुम फलां जगह से चलना शुरु करो, तुम्हें चौरासी लाख दरवाजे मिलेंगे. उनमें से सिर्फ एक दरवाजा खुला होगा, बस उससे अंदर चले जाना, स्वर्ग में पहुंच जाओगे. रोमांचित होकर वह व्यक्ति चलता रहा. सब दरवाजे बंद थे, जब खुला दरवाजा आया, तो उसे खुजली हो गई और वह उस दरवाजे को देख ही नहीं पाया. कई बार ऐसा हुआ, परेशान होकर उसने स्वर्ग जाने की तमन्ना को तिलांजलि दे दी. इतना बुरा है यह खुजली का रोग!” उसकी सोच आगे बढ़ी.
”आजकल भोले बाबा तो रहे नहीं, वैसे आज के बाबा कौन भरोसे लायक हैं! रोज तो उनमें से किसी-न-किसी के कुकृत्य उजागर होते रहते हैं.” उसने सोचा.
”हां गूगल बाबा! ठीक रहेंगे.” उसके मन ने कहा.
गूगल बाबा की शरण में उसे तनिक सुकून मिला. ”खुजली के मूल कारण से किनारा करो.” उसने सड़क का किनारा बदल दिया.
”खुजली ठीक न हो तो, नाखून अवश्य काटते रहा करो.”
कोई दवाई-मलम भी बताया, तनिक आराम आ गया था, लेकिन चली जाए वह खुजली ही क्या!
इश्क-मुश्क की तरह खुजली भी छिपाए न छिपे, तभी वह खुजली प्रसाद के संबोधन से प्रसिद्ध हो गया था. बदनाम हुए तो क्या नाम तो हुआ!
“अब क्या कीजै!” गहरी सोच में थे खोजीराम!
”खुजली के मूल कारण से किनारा करो.” ईर्ष्या से भी खुजली होती है. खोजीराम को शायद बात की गहराई समझ में आ गई थी!
खुजली के मूल कारण से किनारा करने के लिए तत्पर होने के साथ वह नाखून भी काटने लग गया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

4 thoughts on “खुजली

  • *लीला तिवानी

    खुजली की समस्या होने के अनेक कारण हो सकते हैं, जो ये हैंः-वायु प्रदूषण एवं धूल-मिट्टी के सम्पर्क में आने के कारण खुजली हो सकती है।कुछ लोगों को कुछ तरह के भोजन से एलर्जी होती है। ऐसे में अगर वे लोग ऐसा भोजन करते हैं, तो खुजली हो सकती है।किसी दवा के साइड इफेक्ट के कारण खुजली हो सकती है।सूखी (शुष्क) त्वचा भी खुजली का एक मुख्य कारण है।केमिकलयुक्त सौन्दर्य उत्पादों के इस्तेमाल से भी खुजली होती है।केमिकलयुक्त हेयर डाई या हेयर कलर का इस्तेमाल क रने भी खुजली हो सकती है।मौसम में बदलाव के कारण।किसी तरह के कीड़े का काटना।ठण्डे मौसम में त्वचा की नमी सूख जाती है। इससे खुजली की समस्या हो सकती है।यदि आहार में वसा की पर्याप्त मात्रा नहीं होगी, तो त्वचा में खुजली की समस्या हो सकती है।धूम्रपान करने वालों में खुजली की समस्या ज्यादा देखी जाती है। इसमें रहने वाला निकोटीन शरीर को नुकसान पहुंचाता है।सर्दियों में इन्डोर हीटिंग के कारण कमरे की नमी खत्म हो जाती है, और त्वचा शुष्क (सूख) हो जाती है। इससे खुजली होती है।परफ्यूम (इत्र) का त्वचा पर अधिक प्रयोग करना भी खुजली का कारण होता है।त्वचा के लिए कठोर डिटर्जेंट युक्त साबुन का इस्तेमाल करना।अधिक समय तक धूप में रहना।शरीर या अन्य हिस्सों पर जुओं की मौजूदगी।यह गुर्दो (किडनी) की बीमारी, आयरन की कमी या थायराइड की समस्या में हो तो खुजली हो सकती है।मोटे कपड़े, अत्यधिक गर्म कपड़े, बहुत गर्म पानी से स्नान करने से भी होती है।किसी को विशेष रूप से गहनें से भी एलर्जी हो सकती है, और इससे खुजली हो सकती है

  • *लीला तिवानी

    कई बार त्वचा पर एलर्जी होने से खुजली हो जाती है। इस स्थिति में सिर्फ खुजलाने की इच्छा होती है। इसे एक प्रकार का चर्मरोग भी कह सकते हैं। खुजली शरीर के किसी एक हिस्से, और पूरे शरीर, या फिर शरीर के अलग-अलग हिस्सों में भी हो सकती है। आमतौर पर खुजली की समस्या रूखी त्वचा में अधिक देखी जाती है। इसके अलावा गर्भावस्था में भी हो सकती है।

  • *लीला तिवानी

    आयुर्वेद के अनुसार, सभी रोग वात, पित्त और कफ के असंतुलन के कारण होती है, और खुजली वात और कफ दोष के कारण होती है।

  • *लीला तिवानी

    खुजली होना, वैसे तो एक साधारण बीमारी है, लेकिन सच यह है कि यह रोग जब भी किसी व्यक्ति को होता है तो वह व्यक्ति बीमार त्वचा को खुजलाते-खुजलाते परेशान हो जाता है। खुजली होने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार खुजली कई रोगों का लक्षण भी हो सकती है।

Comments are closed.