कविता

मेरा अपना अकेलापन

बहुत कुछ सिखाया है
तूने ए दोस्त
खुद को ढूंढा है तुझसे ही
दोस्त मेरा सच्चा साथी
मेरा अपना अकेलापन
सफर जिंदगी का कांटो भरा है
कितने ही मोड़ो ने
मुझको तोड़ा है
मुझको संभाला तूने ए दोस्त
मेरा अपना अकेलापन
जब भी खुद से खफ़ा हुआ
मैं हुआ उदास,
रोया या घबराया मैं
जीना सिखाया है तूने ए दोस्त
मेरा अपना अकेलापन
गम छुपाए थे
दिल के कोने में
सब कुछ तुझे ही सुनाए है
मैने ताने जिंदगी के
सुलझाए तूने ए दोस्त
मेरा अपना अकेलापन
उत्सुकता दिखाता
जमाना देखा है
लिए प्रश्न जमाना
स्वभाविक खड़ा है
जिम्मेदार कैसे बनाया
तूने ए दोस्त
मेरा अपना अकेलापन
आनंद लेता रचनाओं में
खोज पर चल देता
सरहदों पार तक मैं
देखूं गरिमा शिखर रास्ते संग
मेरा अपना अकेलापन
गरिमा खंडेलवाल

गरिमा खंडेलवाल

वरिष्ठ कवयित्री व स्वतन्त्र लेखिका,उदयपुर- राजस्थान