कविता

सबकुछ ड्रामा है

देश के हर क्षेत्र के
महापुरुषों के
सुचिंत्य विचारों की
कद्र होनी चाहिए,
किन्तु हम जैसों के
वाज़िब विचारों को
खारिज़ कर नहीं!
सुपरस्टार
रजनीकांत के शब्दों में-
“मैंने आजीविका के लिए
अभिनय किया,
उसके बाद
मैंने अपने जीवन की
जरूरतें पूरी कर ली।
अब मैं इसका
आनंद ले रहा हूँ।
अब यह मेरे लिए
मनोरंजक कार्य है।
यह किसी
पेशे की तरह नहीं रहा।
अगर मैं इसे
पेशे की तरह लेने लगूं,
तो फिर काम
एक बोझ बन जायेगा।
अब यह खेल की तरह है,
जिससे मुझे
सुकून मिल रहा है।
शायद यही सोच
मुझे ऊर्जा देती है।
इतना ही नहीं,
अपने कैरियर में
जीवन का
सबसे बड़ा सबक
यही है
कि ‘सबकुछ ड्रामा है’।”
आँखों ने ठगकर हमें,
अंधा बना डाला!
कानों ने ठगकर हमें,
बहरा बना डाला!
मुखों ने ठगकर हमें,
गूंगा बना डाला!
औ’ सिसकने लगा
मैं अकेला!

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.