मुक्तक/दोहा

चार मुक्तक

नारी परिवार का श्रृंगार है,
सृष्टि का आधार है ।
नारी ममता से भरा सागर-
अपमान हो तो अंगार है ।।
नारी अबला नहीं होती है,
वह तो बहुत सबला होती है ।
नारी प्रेम की मूरत –
शौर्य का वरदान होती है ।।
नारी का अपमान न करो,
उसके रौद्र रूप से डरो ।
नारी मां, बहिन, बेटी, पत्नी –
नारी का हमेशा सम्मान करो ।।
धरती को स्वर्ग बनाना है,
हर घर -आंगन महकाना है ।
नारी हो जाये पूर्ण निडर-
हमें ऐसा समाज बनाना है ।।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111