गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

हर तरफ कैसा नज़ारा हो गया है
बदली बदली लग रही अब तो हवा है
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हक़ में अपने भी किसी की तो दुआ है
तब ही तो ख़ुशियों का जारी सिलसिला है
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मन में संशय अब भला क्यूँ हो रहा है
कर लिया संकल्प तो क्या सोचना है
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हाथ में पतवार है जब हौसलों की
तब समझ लेना किनारा मिल गया है
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ख्वाहिशें इस जिंदगी से क्या करें हम
ज़िंदगी है बेवफ़ा हमनें सुना है
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टिमटिमाता सा मगर बेखौफ़ होकर
आँधियों में एक दीपक जल रहा है
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रोक पाएंगे अंधेरे क्या उसे अब
आँख सूरज से मिलाने जो चला है
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बात ये अब तक समझ पाये नहीं हम
क्यूँ हमारे बीच इतना फ़ासला है
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मुश्किलों में रास्ता हमको दिखाया
जिंदगी दिल से तुम्हारा शुक्रिया है

रमा वर्मा

श्रीमती रमा वर्मा श्री प्रवीर वर्मा प्लाट नं. 13, आशीर्वाद नगर हुड्केश्वर रोड , रेखानील काम्प्लेक्स के पास नागपुर - 24 (महाराष्ट्र) दूरभाष – ७६२०७५२६०३