कहानी

प्यार का सफर

पंखुरी आज ऑफिस नहीं गई थी। कुछ अस्वस्थ महसूस कर रही थी। फिर से अक्टूबर का महीना आ गया था। मिला जुला मौसम। गर्मी ख़त्म नहीं हुई और सर्दी शुरू होने वाली है। पूरे साल में उसका प्रिय महीना होता था अक्टूबर का। लेकिन इस बार अक्टूबर का महीना शुरू होने पर वह उदास थी। किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था। कहीं जाने का भी मन नहीं था। किसी से बात भी करने का मन नहीं हो रहा था। एक समय था जब यही अक्टूबर का महीना उसके जीवन में खुशियों की बहार लेकर आया था। नवीन से उसकी मुलाकात हुई थी। नवीन का व्यक्तित्व भी उनके नाम के अनुरूप ही था। नए विचार, नई वेशभूषा और नया नया सा परिवेश। इसी ऑफिस में, एच आर बनकर आए थे नवीन। उन्होंने आते ही सबको अपने मोहपाश में जकड़ लिया था। ऑफिस का कायापलट ही कर दिया था। ऑफिस में काम करने वाले सभी लोग उन दिनों चहकते रहते थे। ऑफिस महका करता था उन दिनों। नवीन से सभी बेहद प्रभावित थे, लेकिन पंखुरी के तो दिल में घर बना लिया था नवीन ने। एक साधारण सी दिखने वाली पंखुरी, राजकुमारी बन गई थी। पंखुरी अपने काम में बहुत अच्छी थी। उसके काम करने का तरीका सभी को बहुत पसंद था। बिना तनाव लिए, चुटकी बजाते ही, हर समस्या का हल निकालना उसको बखूबी आता था। इसके अलावा उसका प्रस्तुतिकरण भी शानदार था। यही कारण था कि नवीन भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाए।
पंखुरी, नवीन के व्यक्तित्व से प्रभावित थी और नवीन उसके मोहक प्रस्तुतिकरण से। कोई भी महत्वपूर्ण मीटिंग होती, पंखुरी वहां अवश्य होती।दूसरे कर्मचारी अपनी बारी का इंतजार करते रहते। इसी तरह अपने बॉस के कम को आसान करते करते, जाने कब पंखुरी नवीन के दिल में उतर गई, उसे पता भी नहीं चला। काम होता रहा, आकर्षण बढ़ता रहा और एक दिन नवीन ने पंखुरी को अपने साथ एक कैफे में, कॉफी पीने का निमंत्रण दिया। पंखुरी चाहकर भी मना नहीं कर पाई। उसकी हर पल नवीन के साथ रहने की इच्छा होती। उस एक एक पल को पंखुरी अपनी ज़िन्दगी के खास पलों में शामिल करती, जब नवीन उसके साथ होते। अजनबी शहर में उसे नवीन के साथ अपनापन महसूस होता। कॉफी पीते पीते, कनखियों से नवीन ने जिस तरह पंखुरी को देखा, उससे उनकी भावनाओं को समझ पाना मुश्किल नहीं था। पंखुरी चाहती थी कि समय रुक जाए और प्यार का यह खूबसूरत सफर ऐसे ही चलता रहे। भावनाएं उमड़ रही थी, दोनों ही प्रेम की नदी में गोते लगा रहे थे। ऑफिस के बाहर मुलाकातें बढ़ रही थी और हालात ऐसे हो चले थे कि ऑफिस में किसी को नवीन से काम होता तो पंखुरी से संपर्क करता। नवीन की सचिव बना दिया था, ऑफिस स्टाफ ने। पंखुरी तब इसी फ्लैट में किराए पर रहती थी। बालकोनी में बैठकर घंटों बाहर देखती रहती की उसके प्रेम की पतंग कितनी ऊंची उड़ सकती है। जब घर पर होती तो नवीन के साथ बिताए पलों को याद कर कर के मन ही मन हंसती रहती। उन दिनों, खाली होते ही, बस नवीन के बारे में सोचते रहना पंखुरी को सबसे अच्छा लगता था।
पंखुरी के सपनों की उड़ान को दिशा मिल गई थी। जिस कैफे में, नवीन से पहली मुलाकात हुई थी, वहीं पर एक खूबसूरत अंगूठी, नवीन ने पंखुरी की उंगली में पहना दी थी। उस दिन पहली बार नवीन पंखुरी को अपनी कार से, उसके फ्लैट पर छोड़ने आए थे। उनके जाने के बाद अपने कमरे में बेड पर बैठकर पंखुरी ने घर पर वीडियो कॉल करके, सबको अपनी अंगूठी दिखाई थी। मम्मी पापा तो कबसे इस दिन का इंतजार कर रहे थे। बात आगे बढ़ी, नवीन ने अपने माता पिता से पंखुरी के मम्मी पापा को मिलवाया। पंखुरी के मम्मी पापा ने भी नवीन को विधिवत अपना दामाद चुन लिया। कहानी यहीं तक रहती तो कितना अच्छा होता। प्यार परवान चढ़ता रहता। पंखुरी नवीन के दिल की रानी बनी रहती और नवीन, पंखुरी के सपनों का राजकुमार।
अचानक ही आए ऑफिस के एक आदेश ने दोनों को जुड़ा कर दिया। कंपनी के आदेश पर नवीन को महीने की अवधि तक कनाडा में रहना था। कंपनी का एक ऑफिस कनाडा में भी था। पंखुरी का दिल बैठ गया लेकिन वो नवीन के कैरियर के रास्ते की बाधा नहीं बनना चाहती थी इसलिए मुस्कुराते हुए, एयरपोर्ट जाकर, भारी मन से नवीन को बाय बाय कह दिया। ज़िन्दगी फिर पुराने ढर्रे पर लौट आई। रोज़ ऑफिस जाना, घर आकर थककर सो जाना। नवीन से रोज़ ही बात होती थी फिर भी पंखुरी को लगने लगा था कि जैसे हाथ से कुछ फिसल रहा है।
उससे पूछे बिना, कोई उससे कुछ छीन रहा है। अकेलापन भी अब उसे अखरने लगा था। कई बार तो पंखुरी बिना किसी बात के ही रोने लगती, फिर खुद ही सोचती कि रोने की तो कोई बात ही नहीं थी। खुद से परेशान होकर उसने मां को अपने पास कुछ दिन, रहने के लिए बुला लिया। पापा नवीन के पिता के संपर्क में थे। थोड़े थोड़े अंतराल पर फोन करते रहते थे। मम्मी पापा दोनों ही चाहते थे कि नवीन जल्दी कनाडा से वापिस आ जाए और उनकी बेटी दुल्हन बन जाए। एक दिन नवीन के पिता ने पंखुरी के पापा को अपने घर पर बुलाया। उनसे मिलने के बाद से, पंखुरी के पापा उदास थे। मम्मी को घर ले जाने के लिए आए तब भी चुप ही रहे। मम्मी के बार बार पूछने पर बस इतना ही कहा कि सब अच्छा होगा। मम्मी उनके साथ घर वापिस चली गई। पंखुरी को कुछ ठीक नहीं लग रहा था इसलिए उसने ऑफिस से दो दिन की छुट्टी ली और मम्मी पापा के पास आ गई। उसने भी पापा से पूछा कि क्या बात हुई, नवीन के पिता से? पापा पहले तो टालते रहे लेकिन फिर उन्होंने सब कुछ विस्तार से बता दिया। पापा की बात सुनकर पंखुरी के पैरों तले से जमीन निकल गई। उसे समझ नहीं आया कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि नवीन के पिता ने उनकी शादी के लिए ऐसी बेतुकी शर्त रख दी है। पापा उसे ही समझा रहे थे कि बेटा शादी विवाह में ऐसा होता ही है, और फिर तुम हमारी इकलौती संतान हो। हमारे पास जो भी है, सब तुम्हारा ही तो है। वैसे भी लड़कियों को रहना तो ससुराल में ही होता है, कभी हमारा मन होगा तो उनसे इजाज़त लेकर तुमसे मिल लिया करेंगे। फिर नवीन तो हीरा है, उसकी तो कोई शर्त नहीं है। तुम्हे रहना तो उसके ही साथ है। हो सकता है शादी के बाद भी वह विदेश में ही रहे। जीवन में पहली बार पंखुरी, पापा के तर्क से सहमत नहीं थी। वह अपने फ्लैट पर वापिस लौट आई। नवीन को फोन करके सब कुछ बताना चाहती थी लेकिन फोन करने का उसका मन नहीं हुआ। नवीन का फोन आया तो उसने सामान्य बातचीत की। पंखुरी ने उसे उसके पिता की शर्त के बारे में बताया। उनका कहना था कि शादी में उन्हें पंखुरी के पिता की और से इतना कैश दिया जाए जितना उन्होंने नवीन की पढ़ाई पर पैसा खर्च किया है। दूसरी शर्त के अनुसार पंखुरी शादी के बाद अपने माता पिता से कोई संपर्क नहीं रखेगी। नवीन ने पूरी बात सुनकर बस इतना ही कहा कि अपने पिता कि तरफ से वह कोई निर्णय नहीं ले सकता है। पंखुरी ने फोन रख दिया। वह सकते में आ गई कि जिस बात ने उसके पूरे परिवार को परेशान कर रखा था, नवीन के लिए वह बात विचारणीय नहीं थी।
उसके बाद तीन चार दिन तक नवीन का कोई फोन नहीं आया। पंखुरी ने भी फोन नहीं किया। एक दिन शाम को नवीन का फोन आया। पंखुरी भावुक हो गई। वो जैसे इंतजार कर रही थी कि नवीन खुद फोन करके बोले की उसके पिता की शर्त उचित नहीं है। वे दोनों शिक्षित हैं, अच्छे पद पर हैं। मेहनत से बहुत पैसा कमा सकते हैं। नवीन ने पंखुरी को समझाया लेकिन अपने पिता को लेकर नहीं, अपने रिश्ते को लेकर। ” पंखुरी मेरे माता पिता इस रिश्ते से खुश नहीं हैं। उन्होंने एक दूसरी लड़की पसंद कर ली है। मैं उनकी इकलौती संतान हूं इसलिए अपने स्वार्थ के लिए उन्हें कष्ट नहीं पहुंचा सकता। तुम किसी अच्छे से लड़के से शादी कर लेना।” पंखुरी चुपचाप सब सुन रही थी। उसे कुछ आश्चर्य नहीं हुआ। वह जान चुकी थी कि ऐसा  होना अपेक्षित था। “पंखुरी” नवीन ने उसे पुकारा। “हां बाय बाय नवीन फोन रखती हूं।” पंखुरी फोन करने वाली थी लेकिन नवीन कुछ के रहा था। वह रुक गई, उसकी आखिरी बात भी सुनी उसने। “हम हमेशा दोस्त तो रहेंगे पंखुरी। संपर्क में रहना।” पंखुरी की चेतना वापिस लौट आती थी। उसने दृढ़ता से नवीन कि बात का उत्तर दिया,” नवीन, तुम्हारी एक ही बात मान सकती हूं। या तो किसी अच्छे लड़के से शादी करूंगी या तुमसे दोस्ती करूंगी। दोनों साथ साथ नहीं निभा पाऊंगी। मेरे मम्मी पापा ने मुझे यही संस्कार दिए हैं।” कहकर उसने फोन काट दिया।
उसके बाद नवीन का कोई फोन नहीं आया। आता भी तो पंखुरी बात नहीं करती। बात करने के लिए अब क्या बचा था। प्यार की गहराइयों में उतरकर फिर से किनारे पर खड़ी थी पंखुरी। दिशाहीन। रिश्तों से विश्वास उठ गया था। दिल चाहता था कि सब कुछ खत्म कर दिया जाए लेकिन संस्कार कह रहे थे कि जीवन के कुछ महीनों के छल के पीछे इतने सालों की मेहनत से बना एक आत्मनिर्भर व्यक्तित्व जीवित रहना चाहिए। मम्मी पापा की आंखे उनका दुख बयान करती थी। वो ठेस जो पंखुरी को लगी थी उसकी कसक उनके सिवा कौन महसूस कर सकता था?
अंगूठी वापिस हो गई। नवीन कनाडा से आया और शादी करके फिर वापस लौट गया। पंखुरी को छोड़कर सभी कर्मचारी उसकी शादी में शामिल हुए लेकिन कोई भी खुश नहीं था। सबके उतरे चेहरे बता रहे थे कि नवीन अपने साथ साथ इस ऑफिस की खुशी भी ले गया था। पंखुरी ने अपने आपको फिर से काम में डूबा दिया। बस एक अक्टूबर महीने को अपने मन से उसने दूर नहीं किया। इसी महीने ने उसे प्यार जैसे खूबसूरत अहसास से रूबरू कराया था। इसीलिए इस माह में प्रबलता से उमड़ती हुई भावनाओं के वेग को वह रोकना नहीं चाहती थी। शायद उसके ही प्यार में कुछ कमी रह गई थी जो नवीन को वापस नहीं बुला पाई। पंखुरी अब भी उसी फ्लैट में रहती थी। उसने उस फ्लैट को खरीद लिया था। अब अपनी कंपनी की हेड थी पंखुरी।
शाम हो गई थी। पंखुरी अपने कमरे में आई तो फोन की घंटी बज रही थी। पंखुरी की चेतना वापिस आ गई। मां का फोन था। ” बेटा, तुम्हारे मामा के दोस्त का बेटा कल तुमसे मिलने आ रहा है। इसी शहर में उसका स्थानांतरण हुआ है।समय निकालकर जरूर मिल लेना।” पंखुरी को जाने क्यूं हंसी आ गई,”मिल लूंगी माताजी, क्यूं इतनी चिंता करती रहती हो ? कहोगी तो शादी भी कर लूंगी। मैंने अविवाहित रहने की कसम नहीं खाई है।” मां ने कुछ जवाब नहीं दिया, शायद पंखुरी की हंसी को महसूस कर रही थी। इतने दिनों के बाद जो सुनी थी।
— अर्चना त्यागी

अर्चना त्यागी

जन्म स्थान - मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश वर्तमान पता- 51, सरदार क्लब स्कीम, चंद्रा इंपीरियल के पीछे, जोधपुर राजस्थान संपर्क - 9461286131 ई मेल- tyagiarchana31@gmail.com पिता का नाम - श्री विद्यानंद विद्यार्थी माता का नाम श्रीमति रामेश्वरी देवी। पति का नाम - श्री रजनीश कुमार शिक्षा - M.Sc. M.Ed. पुरस्कार - राजस्थान महिला रत्न, वूमेन ऑफ ऑनर अवॉर्ड, साहित्य गौरव, साहित्यश्री, बेस्ट टीचर, बेस्ट कॉर्डिनेटर, बेस्ट मंच संचालक एवम् अन्य साहित्यिक पुरस्कार । विश्व हिंदी लेखिका मंच द्वारा, बाल प्रहरी संस्थान अल्मोड़ा द्वारा, अनुराधा प्रकाशन द्वारा, प्राची पब्लिकेशन द्वारा, नवीन कदम साहित्य द्वारा, श्रियम न्यूज़ नेटवर्क , मानस काव्य सुमन, हिंदी साहित्य संग्रह,साहित्य रेखा, मानस कविता समूह तथा अन्य साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। प्रकाशित कृति - "सपने में आना मां " (शॉपिजन प्रकाशन) "अनवरत" लघु कथा संकलन (प्राची पब्लिकेशन), "काव्य अमृत", "कथा संचय" तथा "और मानवता जीत गई" (अनुराधा प्रकाशन) प्रकाशन - विभिन्न समाचार पत्रों जैसे अमर उजाला, दैनिक भास्कर, दैनिक हरिभूमि,प्रभात खबर, राजस्थान पत्रिका,पंजाब केसरी, दैनिक ट्रिब्यून, संगिनी मासिक पत्रिका,उत्तरांचल दीप पत्रिका, सेतू मासिक पत्रिका, ग्लोबल हेराल्ड, दैनिक नवज्योति , दैनिक लोकोत्तर, इंदौर समाचार,उत्तरांचल दीप पत्रिका, दैनिक निर्दलीय, टाबर टोली, साप्ताहिक अकोदिया सम्राट, दैनिक संपर्क क्रांति, दैनिक युग जागरण, दैनिक घटती घटना, दैनिक प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, निर्झर टाइम्स, दिन प्रतिदिन, सबूरी टाइम्स, दैनिक निर्दलीय, जय विजय पत्रिका, बच्चों का देश, साहित्य सुषमा, मानवी पत्रिका, जयदीप पत्रिका, नव किरण मासिक पत्रिका, प दैनिक दिशेरा,कोल फील्ड मिरर, दैनिक आज, दैनिक किरण दूत,, संडे रिपोर्टर, माही संदेश पत्रिका, संगम सवेरा, आदि पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन। "दिल्ली प्रेस" की विभिन्न पत्रिकाओं के लिए भी लेखन जारी है। रुचियां - पठन पाठन, लेखन, एवम् सभी प्रकार के रचनात्मक कार्य। संप्रति - रसायन विज्ञान व्याख्याता एवम् कैरियर परामर्शदाता।