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2022 के बहाने

2022 का हार्दिक अभिनंदन, ऐसे में जारी सप्ताह कई महापुरुषों के जन्मदिवस होने के साक्ष्य लिए हैं। तिथि 20 दिसम्बर को संतमत सत्संग के आचार्य रहे महर्षि संतसेवी परमहंस की जयंती रही। वहीं 22 दिसम्बर तारीख को भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती, जिसे ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ के रूप में मनाया गया। फिर 23 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती है, जिसे देश ‘किसान दिवस’ के रूप में भी मनाते हैं। इस तिथि को हिंदी कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी की जन्मतिथि भी है। इतना ही नहीं, 24 दिसम्बर को सुरों के शहंशाह मोहम्मद रफ़ी का जन्मदिवस है। फिर 25 दिसम्बर का आगमन होता है, जो कि ईसाई धर्म के प्रवर्त्तक प्रभु यीशु मसीह का जन्मदिवस भी है, जिसे ‘क्रिसमस डे’ के रूप में भी मनाया जाता है, तो दो-दो भारतरत्न यानी पंडित मदनमोहन मालवीय और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की पावन जन्मदिवस 25 दिसम्बर ही। तारीख 26 दिसंबर है शहीद उद्धम सिंह, कम्प्यूटर आविष्कारक चार्ल्स बैवेज, संगीतकार नौशाद साहब का जन्मदिन।
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हिंदी अभिनेता व पूर्व सांसद गोविंद वल्लभ आहूजा उर्फ़ गोविंदा 1977 में जब वे सिर्फ 14 वर्ष के थे, तो उनकी पहली फ़िल्म आयी थी, फिर पीछे मुड़े नहीं ! अब तो फ़िल्म अभिनेता गोविंदा के फिल्मों की संख्या 175 से अधिक हो गई है, जिनमें हिंदी सहित कई भाषाओं के फ़िल्म शामिल है । वे एक समय सुपर स्टार थे और फ़िल्म चलने की गारंटी होते थे ! वे राजकुमार, अमिताभ बच्चन जैसे फ़िल्म दिग्गजों के साथ भी कार्य किये । हास्य और एक्शन अभिनेता की छवि लिए वे सामाजिक किरदार भी बखूबी निभाये ! इधर एक-दो सालों उनकी कोई फ़िल्म नहीं आयी है । अपनी पुत्री नर्मदा को बतौर अभिनेत्री के प्रसंगश: उनकी कॅरियर सँवारने में लगे हैं! वर्ष 2004 में कांग्रेस की शरण में आये तथा भाजपा के शालीन व कद्दावर चेहरा एवं कई बार सांसद रहे श्री राम नाईक को हराकर सांसद बने, किन्तु अभिनेता को नेता बनना रास नहीं आता है, वे भी ‘नेता’ पद से विमुख हो गए। वहीं हिंदी फिल्म अभिनेता फारुख शेख की पुण्यतिथि पर सादर नमन कि चश्मेबद्दूर, टेल मी ओ खुदा, अंजुमन, लोरी, नूरी, बाजार, फासला इत्यादि उनकी महत्वपूर्ण फिल्में हैं।
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संतमत – सत्संगियों के आदर्श सद्गुरुदेव ब्रह्मलीन महर्षि मेंहीं परमहंस के उत्तराधिकारी – शिष्य और संतमत – सत्संग के आचार्य रहे ब्रह्मलीन महर्षि संतसेवी परमहंस के पावन जन्मोत्सव (20 दिसम्बर) पर परम श्रद्धा से सादर नमन ! महर्षि मेंहीं और मेरे प्रपितामह मधुसूदन पटवारी मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) के संत बाबा देवी साहब के शिष्य थे, इसतरह से मेरा परिवार एतदर्थ संतमत – सत्संग के अनन्यतम विचारपोषक रहा है । मेरे पितामह योगेश्वर प्रसाद ‘सत्संगी’ तो महर्षि मेंहीं और महर्षि संतसेवी के सिद्धांतों में जीवन लीन कर दिए। 29 दिसम्बर 1920 को बिहार के मधेपुरा जिला के गम्हरिया में जन्म लिए महावीर लाल ही महर्षि मेंहीं के सान्निध्य में ‘संतसेवी’ हो गए। सद्गुरुदेव के अविवाहित रहने पर वे भी एतदर्थ संन्यासी और आजन्म ब्रह्मचारी रहे, किन्तु महर्षि मेंहीं के शह पर कटिहार जिले के मनिहारी और नवाबगंज में बच्चों को पढ़ाने लगे। बीसवीं सदी में 30 के दशक में महर्षि मेंहीं द्वारा स्थापित पहला संतमत – सत्संग मंदिर नवाबगंज में बना और फिर मनिहारी गंगातट पर साधना कुटी बना, जहाँ स्वामी संतसेवी अंतेवासीरूपेण रहने लगे, यहीं कई आध्यात्मिक ग्रंथों का प्रणयन भी किया। ‘योग महात्म्य’ नामक प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना यहीं की गई थी। ध्यातव्य है, इस ग्रंथ को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी सराहे हैं । ‘महर्षि संतसेवी – हीरक जयंती – अभिनंदन ग्रंथ’ में वाजपेयी जी के शुभकामना – पत्र भी प्रकाशित है, तब वाजपेयी जी लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता थे। स्वामी संतसेवी को ‘महर्षि’ विभूषण सनातन हिन्दू धर्म के एक शंकराचार्य ने प्रदान किया था । देश के राष्ट्रपति रहे डॉ. शंकर दयाल शर्मा महर्षि संतसेवी के विचारों से प्रभावित रहे हैं। भारत रत्न प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी सहित श्री चंद्रशेखर, श्री नरेन्द्र मोदी से लेकर बिहार, झारखंड सहित कई राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, आईएएस, आईपीएस, अभिनेता, अभिनेत्री, खिलाड़ी इत्यादि महर्षि मेंहीं और महर्षि संतसेवी के विचारों से प्रभावित रहे हैं।

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उच्च विद्यालय मनिहारी में सहायक रहे ‘रवि’ क नवाबगंज चौक से मनिहारी जाते समय कई बार, फिर दो-चार बार कटिहार जाने के क्रम में उनके बाइक पर उनके पीछे बैठे – बैठे मुझे ऊर्जस्विन ऊष्मा लिए उनके साथ की यात्रा खूब गुदगुदाता था, अब 27 दिसम्बर से ही रुला रहा है । श्री नूर आलम साहब के एफबी पोस्ट से ही मैं जान पाया था कि हाईस्कूल मनिहारी के कार्यालय सहायक व सहकर्मी श्री रवि कुमार इस पार्थिव दुनिया से कूच कर गए हैं। तन और मन में क्रन्दन ही क्रन्दन समा गए। दीनानाथ मंडल के अत्यंत मृदुभाषी सुपुत्र रवि कुमार की उम्र ही क्या थी ? आनेवाले 31 दिसंबर को 36 वर्ष पूर्ण करते यानी वे 35 भी पूर्ण नहीं कर पाए ! अब वे यादों में ही मुझे ‘पाल भैया’ कह पाएंगे !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.