गीत/नवगीत

दिल की बात

ढलने लगा दिन ,जगने लगी रात
आ जा रै मोरे बालम
आ जा रै मोरे बालम
कर ले तूँ दिल की बात

साथी है मेरा बादल
साथी है मेरा अंबर
सुखा पड़ा मन मेरा
छा जाओ दिल के अंदर
बरसे वो जैसे आई अंगना में हो बारात
ढलने लगा है दिन ,जगने लगी है रात
आ जा रै मोरे बालम
आ जा रै मोरे बालम
कर ले तूँ दिल की बात

प्यार के हैं हम दो राही
प्यार ही तो मंजिल है
कितनी अनोखी यारों
सपनों की महफिल है
वादा किया है हमने हाथों पे रखकर हाथ
ढलने लगा है दिन,जगने लगी है रात
आ जा रै मोरे बालम
आ जा रै मोरे बालम
कर ले तूँ दिल की बात

रंगी लगती हैं फिजायें
पर्वत ने छेड़ा साज
बाहों में तुमको छुपा लूँ
ऐसा करूंगी आज
पा लूँ मैं तुमको पल में ऐसी हो सौगात
ढलने लगा है दिन, जगने लगी है रात
आ जा रै मोरे बालम
आ जा रै मोरे बालम
कर ले तूँ दिल की बात

दुनिया है एक समंदर
कैसे पार जाना होगा
आँखों की भाषा समझो
मुहँ बंद गाना होगा
छोड़ न देना हमको कैसे भी हो हालात
ढलने लगा है दिन, जगने लगी है रात
आ जा रै मोरे बालम
आ जा रै मोरे बालम
कर ले तूँ दिल की बात

प्रवीन माटी

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733