लघुकथा

लघुकथा – नया सवेरा

वह सोने का प्रयास कर रहा था, परंतु नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी । उसकी बेचैनी उसके हृदय में घबराहट का उफान मार रही थी । उसका रक्तचाप लगातार बढ़-घट रहा था । उसे अनहोनी की आशंका हुई, लगा कि हार्ट अटैक आने वाला है । और वह आंखें मूंद एक ओर लुढ़क गया…।
बेहोशी से बाहर निकला तो पाया कि पत्नी उसे हाथ का पंखा झल रही है और सीने पर मालिश भी साथ-साथ कर रही है । पत्नी का मुस्कराता चेहरा उसे दिखा, अब वह शांत था एकदम ।
‘तुम पुरानी बातें भूल क्यों नहीं जाते, उसने सिर्फ हमारे चंद रुपए ही तो खाए हैं । हमारी किस्मत हमारे पास है, जो वर्तमान में हमारे पास बचा है, हम उसी में गुजारा कर लेंगे । जो बीत चुका है वह वापस कभी नहीं आएगा, वह खोई हुई संपदा है । उसे भूल जाओ ।’
पत्नी की बातें सुनकर उसे एक नई ऊर्जा का एहसास हुआ । उसका मन बहुत ही हल्का हो गया । उसकी चिंता हवा हो गई । वह उठ बैठा और उसने दृढ़ संकल्प कर लिया। पुरानी बातें भूल जायेगा, मेहनत करेगा और ईश्वर में अटूट विश्वास रखेगा ।
 समय आने पर नियति उसकी समस्याओं का हल उसे खुद -ब- खुद दे देगी । जब जीने का कोई विकल्प शेष न बचे तो सारा भार ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए …। निश्चित ही एक नया सवेरा होगा ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111