गीतिका/ग़ज़ल

लेखनी

मेरे हम नज़र हमसफर मेरे दर्द का बयां हो तुम
रहने दे ये पर्दादरी मेंरे दास्तां की जुबां हो तुम
सब छोड़ कर तन्हां गये तूने न छोड़ा साथ
ख़ामोशियों में भी रही बनकर मेंरी सदा हो तुम
राज़दार बनवाक२ तूने दिल का राज दिया
अब कैसी पर्दादारी  मेंरी हया हो तुम
सब लिख दिया कागज़ पे तूने जो कहा दिल ने
आंसू को लफ्ज़ो में किया तब्दील वो अदा हो तुम
शब़े तीरग़ी में जब ग़म की गरज रही थी घटाएं
उन गुज़रे बेबस लम्हों का राजदां हो तुम
ऐ लेखनी तू अजीज़ है  छोड़ा नहीं दामन कभी
तूने दिया रहवर मुझे मेंरे लिए खुदा हो तुम
— पुष्पा “स्वाती” 

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है