गीतिका/ग़ज़ल

फितरत

नशा करने की फितरत है मुझे
इसलिए नशा करता हूं
जानता हूं
नशा नाश का कारण है
कोशिश भी करता हूं
पर नशा छोड़ते हुए डरता हूं
यह नशा ही तो
मुझे जिंदा रखे हुए है
घर-समाज में मेरी चर्चा को
आम बनाए रखे हुए है
लोग कहते हैं
नशा छोड़ दो
जितना जल्दी हो सके
इससे नाता तोड़ दो
मुझे बताओ
बिना नशा नशा किए
कैसे जिया जाता है!
मुझसे तो यह
कतई नहीं हो पाता है
जब तक एक-दो
मनपसंद-जगभाती
रचना न लिख लूं
एक निवाला भी
मुझसे निगला नहीं जाता है
मुझे तो शुरु से ही इससे लगाव है
अब तो दुनिया को भी
मेरा यह नशा भाता है
यह नशा करना मेरी फितरत है
नशे को छोड़ना
मुझको तनिक भी रास नहीं आता है
नशा करने की फितरत है मुझे
इसलिए नशा करता हूं
कोशिश भी करता हूं
पर नशा छोड़ते हुए डरता हूं

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244