बाल कविता

हम सब बोलें मीठे बोल

बात पते की सुन लो बच्चो
जब भी खेलो मिलकर खेलो।
जब भी बोलो हंसकर बोलो,
बातों में मिसरी सी घोलो।।

अच्छे और बुरे कामों को,
मन की आंखों से तुम तोलो।
जब बोलो तब सच-सच बोलो,
कभी न बातें रच-रच बोलो।।

हंसकर मन की गांठें खोलो,
दिल से दिल का रिश्ता जोड़ो।
जब बोलो तब झुक कर बोलो,
सोच समझ कर रुक कर बोलो।।

नन्हें बच्चो तुम सब मिलकर ,
इस धरती को स्वर्ग बना लो।
सिर झुका कर हाथ को जोड़ो,
जो भी बोलो मीठा बोलो।।

— आसिया फ़ारूक़ी

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र