गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

तेरी ज़ुल्फ में पेचोख़म है।
और खूब बात में दम है।

क्यों और सताती हो अब,
पहले दु:ख दिल में कम है?

दूर रहो इससे तुम,
शायद थैले में बम है।

आ जाए लड़ ले मुझसे,
जिसके बाज़ू में दम है।

है आज कोई दिल ऐसा,
कोई न जिसमें ग़म है?

हैं सब घमन्ड के मारे,
है अधिक किसी में कम है।

क्यों मार रहे हो उसको,
क्या कोई उसमे दम है?

‘चन्द्रेश’ है ताक़त उनमें
जिन हाथों में परचम है।

— चन्द्रकांता सिवाल “चन्द्रेश”

चन्द्रकान्ता सिवाल 'चंद्रेश'

जन्म तिथि : 15 जून 1970 नई दिल्ली शिक्षा : जीवन की कविता ही शिक्षा हैं कार्यक्षेत्र : ग्रहणी प्ररेणास्रोत : मेरी माँ स्व. गौरा देवी सिवाल साहित्यिक यात्रा : विभिन्न स्थानीय एवम् राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित कुछ प्रकाशित कवितायें * माँ फुलों में * मैली उजली धुप * मैट्रो की सीढ़ियां * गागर में सागर * जेठ की दोपहरी प्रकाशन : सांझासंग्रह *सहोदरी सोपान * भाग -1 भाषा सहोदरी हिंदी सांझासंग्रह *कविता अनवरत * भाग -3 अयन प्रकाशन सम्प्राप्ति : भाषा सहोदरी हिंदी * सहोदरी साहित्य सम्मान से सम्मानित