कविता

कविता

छुपकर पढ़ती
ढाई अक्षर प्रेम को
जोड़ लेती ख्वाबो से रिश्ते
होसला ,ज़माने से डर नहीं का
भर लेती मन में।
वो सामने आते तो
होंठ थरथराने लगते
मानों शब्द को कर्फ्यू लगा हो
बस आँखे ही कर जाती थी
प्रेम का इजहार।
सुबह नींद खुली तो लगा
जैसे एक ख्वाब देखा प्रेम का
अब डाकिया भी नहीं लाता
प्रेम की पाती
मैने भी ख़त लिखा ही नहीं
क्योंकि हो जाती
मोबाइल पर प्रेम की बातें।
— संजय वर्मा “दृष्टि “

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच