काला कौवा शोर मचाता,
काला कौवा तनिक न भाता।
सभी मारते उसको पत्थर ,
पर वो जल्दी से उड़ जाता।
घर की छत पर जब भी आता ,
मन को वो शंकित कर जाता।
नन्हे चीकू के हाथों से ,
छीन रोटियां वो उड़ जाता।
जब भी वो चालाकी करता,
कौवा हरदम मुंह की खाता।
—
महेंद्र कुमार वर्मा
महेंद्र कुमार वर्मा
द्वारा जतिन वर्मा
E 1---1103 रोहन अभिलाषा
लोहेगांव ,वाघोली रोड ,वाघोली
वाघेश्वरी मंदिर के पास
पुणे [महाराष्ट्र]
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