बाल कविता

धूप

सुंदर पीली – पीली धूप
कितनी छैल छबीली धूप
इससे मिले विटामिन डी
निद्रा दे सपनीली धूप
तन का भार घटा देती
बिन पैसे चटकीली धूप
प्रतिदिन धूप – स्नान करें
सुखप्रद लगे सुरीली धूप
खूब जलाती गर्मी में
ज्यों माचिस की तीली धूप
सर्दी में हलवा जैसी
वर्षा में है सीली धूप
बदली में आती-जाती
लगती है नखरीली धूप
धन्यवाद! सूरज दादा
देते हो रंगीली धूप
— गौरीशंकर वैश्य विनम्र

गौरीशंकर वैश्य विनम्र

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