कविता

हिमाचल लिए चलते हैं

 आइए…..आपको हिमाचल लिए चलते हैं ।
जिसके कण- कण में प्रेम का आविर्भाव है।
 देवभूमि के  पवित्र संसार में लिए चलते हैं ।
आइए….आपको हिमाचल लिए चलते हैं ।
जीवनदायिनी गंगा की जन्मस्थली जहां पाप लेश मात्र भी नहीं फलते हैं ।
आइए……आपको हिमाचल लिए चलते हैं ।
क्षितिज को छूते पहाड़,विचारों और विचारधारा की दृढ़ता से मिलते हैं ।
आइए…… आपको हिमाचल लिए चलते हैं ।
कुदरती नजारों झरनों की कल- कल से मन को शांत करते नजारों के साथ मिलते हैं ।
आइए…….आपको हिमाचल लिए चलते हैं ।
तीन गुणों ,तीन देवताओं को परिभाषित करते तीन मंडल।
शिमला , मंडी ,धर्मशाला से जुड़तेे हैं ।
स्वर्ग देखना हो धरती पर कहीं हिम आंचल से जुड़ते हैं ।
आइए…….आपको हिमाचल लिए चलते हैं ।
12 राशियों से 12 जिले हैं।
राजधानी शिमला से सजे पड़े हैं।
राजकीय वृक्ष देवदार से हिम क्षेत्र सारे घिरे पड़े हैं ।
स्नो लेपर्ड राजकीय पशु का दर्जा लिए ।
राजकीय पक्षी वेस्टर्न ट्रेगोपान जुजराना से जंगल सजे हुए हैं।
जड़ी बूटियों का भंडार हिमाचल संजीवनी बूटी के इतिहास  इसी मिट्टी पर रचे हुए हैं ।
आइए…..आपको हिमाचल लिए चलते हैं ।
प्राचीन इतिहास की अमर कथा यही उपजी ।
सिंधु घाटी की सभ्यता यही सहजी ।
नालागढ़ की सिरसा -सतलुज घाटी ।
व्यास ऋषि की तपोभूमि व्यास घाटी ।
सिरमौर से सजाई मार्कंडेय ऋषि ने मारकंडा घाटी ।
कुल्लू घाटी को कौन भूल पाएगा। इसके पत्थरों को जो देखेगा शिवमय हो जाएगा ।
आइए…….आपको हिमाचल लिए चलते हैं ।
काल बदलते रहे शासकों के हिम का आंचल वही रहा।
 सुंदरता जिसके कण-कण में झीलों से निर्मल जल बहता रहा।
 महाहिमवंत  नाम जिसका स्कंद पुराण वेदों में व्याख्यान इसका ।
कण-कण में देव वास यहां है।  ऐसा उच्च स्थान  है इसका ।
आइए……आपको हिमाचल लिए चलते हैं ।
मेहमानों के स्वागत में,वो पकवान सजाएंगे ।
धाम, सिडू ,भूटूरू, कचौड़ी के साथ सेपूवड़ी भी खिलाएंगे ।
चंबा की चुख का जायका देकर स्वाद को आत्मसात कर जाएंगे।
आइए… आपको हिमाचल लिए चलते हैं ।
अमृत का अंश जो हमारे भीतर है। उसे आत्मा तक आत्मसात कर मिलवाते है।
— प्रीति शर्मा “असीम” 

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- aditichinu80@gmail.com