कविता

सच्ची श्रद्धांजलि

ऐसा सिर्फ़ हमारे देश
भारत में ही हो सकता है,
जहां स्वतंत्रता का बिगुल फूँक
मशाल जलाने वाले महान नायक
नेताजी सुभाषचंद्र बोस
आजाद हिंद फौज और
आजाद हिंद सरकार की गाथा पर
पर्दा डालने का कुचक्र हो सकता है,
लोकतांत्रिक व्यवस्था से चुने नेता को
पद छोड़ने के लिए
विवश कर दिया जाता है।
स्वार्थ, लोभ, मोहवश
सब कुछ ताक पर रख दिया जाता है,
देश का मान स्वाभिमान
ताक पर रखने में भी गर्व किया जाता है
ऊंगलियाँ कटाकर शहीदों में नाम लिखाने का
बेशर्म पाप किया जाता है,
कुर्सी और सत्ता की खातिर
हद से भी नीचे गिर जाने में
नहीं संकोच किया जाता है।
ऐसा ही नेताजी के साथ
हमारे अपने देश में हुआ,
उनकी छवि को चमकाने के बजाय
अंधेरे में ढकेलने का काम हुआ,
जिस नेताजी ने देश की खातिर
लगातार यात्राएं की
वेश बदलकर घूमते रहे
विदेशियों तक को अपने चातुर्य
बुद्धि कौशल का लोहा मनवाते रहे
उसी नेताजी की मौत पर
हमारे ही राष्ट्र के रहनुमा
बड़ी ढिठाई से पर्दा डालते रहे
कुर्सी पर काबिज हो
अपना और अपने कुनबों का
यशोगान बघारते रहे।
पर सच कब तक छिपा रहेगा
मौत का सच तो सामने आकर ही रहेगा
जिसने जैसा किया उसे वैसा ही
भोगना भी पड़ेगा,
नेताजी की मृत्यु का राज
छुपाने का दंड तो भोगना ही पड़ेगा।
समय बदल रहा  है,
जनमन जागरूक हो रहा है
सरकारें भी जागरण करने लगी हैं
नेताजी की आत्मा उन्हें
कुरेदने लगी है।
इतिहास करवट बदलने को आतुर है,
मौत का रहस्य बाहर आने को
कुलबुला रहा है।
नेताजी की इंडिया गेट पर लग रही मूर्ति
अब रोज ही हमसे पूछेगी
मेरी मौत के रहस्य की कहानी
आखिर कब पूरी होगी?
आज देश पराक्रम दिवस मना रहा है
राष्ट्र के नायक को श्रद्धांजलि दे रहा है,
सरकार भी अब विचारने लगी है
दोहरे चरित्र वालों को खुजली हो रही है
पर अब भी ये सब अधूरा अधूरा सा है,
नेता जी के त्याग, बलिदान समर्पण का
इतिहास हमें जानना होगा,
उनकी मौत का सच जब
देश दुनिया के सामने होगा
तभी उन्हें श्रद्धांजलि, नमन का
हमारा उद्देश्य वास्तव में सच्चा होगा
अन्यथा हमारा नेताजी को
दिया जा रहा श्रद्धासुमन तब तक
महज औपचारिकता होगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921