कविता

अपना वतन

अपना वतन, अपनी जन्मभूमि
अपनी माँ सबको भाती है,
यही तो हमारी थाती है।
पर कहने मानने से भला क्या होता है?
धरातल पर भी दिखना चाहिए,
माँ को माँ कहने भर से
अपनी जन्मभूमि से प्यार है
प्रवचन करने से
वतन वतन रटने भर से कुछ नहीं होगा।
धरातल पर दिखना भी चाहिए
हम सबको कुछ ऐसा करना चाहिए
माँ, जन्मभूमि या वतन को भी तो
ऐसा ही लगना चाहिए।
हम अपना कर्तव्य निभाएं
वतन की रक्षा, स्वाभिमान की खातिर
कुछ भी करना पड़े, कर जाएं
तब कहें वतन हमारा है।
जिस मिट्टी में जन्म लिया
जिसकी गोद में पले बढ़े
जिससे हमारी पहचान  है
जो वतन हमारी शान है
तब बड़े गर्व से कहें कि
अपना वतन अपना हिंदुस्तान है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921