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जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स- 6

आज प्रस्तुत है “जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स-” की छठी कड़ी. हर कड़ी में हम आपके लिए जितेंद्र भाई के बारे में कुछ-न-कुछ नई जानकारी प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं. इसलिए जितेंद्र भाई से साक्षात्कार करके कुछ जानना होता है.

किसी से साक्षात्कार लेना जितना चुनौती पूर्ण है, अपने बारे में कुछ बताना उससे भी अधिक चुनौती पूर्ण है. फिर भी किसी-न-किसी रूप में साक्षात्कार तो लेना-देना ही पड़ता है. हमने भी हमेशा की भांति इस कड़ी के लिए जितेंद्र भाई से साक्षात्कार लिया, जो इस प्रकार है-

आप कबीरदास जी से किस प्रकार प्रभावित हैं? कुछ बताइए
“संत कबीर दास जी का सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों पर प्रहार करने वाले लेखन ने मुझे बाल्यकाल से ही प्रभावित किया है। इन बुराइयों की आलोचना के लिए दिए गये उनके तर्क अकाट्य हैं। उन्होंने धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत की बात की।”

इस पर अपने कुछ मुक्तकों या रचनाओं से उदाहरण दीजिए. उन्होंने तुरंत अपनी एक कविता भेज दी-
“इंसान का दिमागी विलास

भूख से पीड़ित इंसान
भूल कर अपनी सारी शर्म-लिहाज
रोटी के एक टुकड़े की खातिर
त्याग दे सकता है
सामाजिक नैतिकता के सारे आयाम,
भूखे पेट ने सिखाया है उसे
कि वास्तव में रोटी ही है
उसका भगवान
और दुनिया में ज्यादातर लोगों की आस्था
है केवल भरे हुए पेट का विलास।

अस्तित्व को जूझता इंसान
भूल कर अपनी सारी धर्म-जात
अपनी जान बचाने की खातिर
त्याग दे सकता है
जन्म से ओढ़ाए गये धर्म-जाति संस्कार,
जिंदा बचे रहने की जद्दोजहद ने
सिखाया है उसे
कि वास्तव में अपना अस्तित्व बनाए रखना
ही है जीव का एकमात्र धर्म
और दुनिया की बाकी सब धर्म-जात
हैं केवल इंसान के दिमाग का वक्ती विलास।
जितेंद्र कबीर

यहां हम आपको यह बताते चलें, कि जितेंद्र भाई जितने अच्छे मुक्तक लिखते हैं, उतनी ही अच्छी कविताएं भी लिखते हैं.

अभी हाल ही में आपने पढ़ा था ब्लॉग- “फेसबुक की स्मृतियां”. ये स्मृतियां विरही और कवि के लिए बहुत काम की होती हैं. विरही प्रेमी या प्रेमिका इन्हीं यादों-स्मृतियों से अपने मन को बहलाते भी हैं और समय भी गुजारते हैं.

कवि के लिए प्रेमी या प्रेमिका दो तरह के होते हैं- पहला निजी जीवन में असली प्रेमी या प्रेमिका और दूसरा सपनों-भावों-विचारों में प्रेमी या प्रेमिका. इस बारे में हमने जितेंद्र भाई से तो कुछ नहीं पूछा, पर हमारा विचार है कि असली जीवन के प्रेमी या प्रेमिका की स्मृतियों के बारे में कवि शायद इतना भावुक न हो पाए, जितना जितेंद्र भाई के मुक्तकों में देखने को मिलता है. आज के पोस्टर्स में से ही दो उदाहरण देखिए-

जाने क्या दुश्मनी है तेरी यादों से मेरी नींद की,
एक आती है तो दूसरी पकड़ लेती है पतली गली.

बड़ी अजीज हैं हमें तेरी यादें और इंतजार,
तोहफे में यही दोनों मिले हैं करके तुमसे प्यार.

जितेंद्र भाई से साक्षात्कार लेने के लिए आप पाठकगण भी प्रश्न पूछना चाहें, तो कामेंट्स-फेसबुक मैसेंजर-मेल से लिख सकते हैं. शीघ्र ही आप एक और साक्षात्कार से रू-ब-रू हो सकते हैं.

आज बस इतना ही, शेष आपके-हमारे द्वारा कामेंट्स में.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स- 6

  • *लीला तिवानी

    जितेंद्र भाई, अपना ब्लॉग सहित अनेक साहित्यिक मंचों पर आपके “मुक्तक-पोस्टर्स” अत्यंत लोकप्रिय हो रहे हैं. आपके “मुक्तक-पोस्टर्स” की विशेषता है वैविध्य के साथ लौकिकता और अलौकिकता का समावेश. हर “मुक्तक-पोस्टर्स” को बार-बार देखने-पढ़ने से भी मन अतृप्त रहता है. इसका एक कारण सम्भवतः यह भी है, कि एक श्रेष्ठ लेखक होने के कारण ये भावपूर्ण मुक्तक अनायास ही सृजित और भावपूर्ण होते हैं. कला के अध्यापक होने के कारण पोस्टर्स भी वैविध्य लिए अप्रतिम होते हैं. अनायास ही सृजित बहुत सुंदर भावपूर्ण “मुक्तक-पोस्टर्स” के लिए कोटिशः बधाइयां और शुभकामनाएं.

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