हास्य व्यंग्य

एक आदमी दो वसंत (लघु व्यंग्य)

मनुष्य प्रकृति की अनुपम छटा को वसंत के रूप में सदियों से देखता आया है । प्रकृति का ये आशीर्वाद विश्व के अनेक देशों के पास नहीं है,,, हाँ, हम इस मामले में अवश्य अपने को भाग्यशाली कह सकते हैं ।वसंत के क्या कहने जिधर देखो उधर खुशबु का सैलाब, फूलों के अंबार इस समय तो सूखे ठूंठ भी अंगड़ाइयां लेते नजर आ रहे हैं ।

      अब की बार प्रकृति के वसंत के साथ पाँच राज्यों में  ‘चुनावी-वसंत’ की धूम देखने को भी खूब मिल रही है । जैसे वसंत का असर बड़े बड़े वृक्षों से लेकर छोटे छोटे पौधे यहाँ तक घास तक पर देखा जा सकता है उसी प्रकार बड़े नेताओं के साथ गली-गली मोहल्लों के छुटभैये नेताओं पर भी ‘चुनावी वसंत’ का प्रभाव देखा जा रहा है । कई तो ऐसे भी उदाहरण इन दिनों देखे जा सकते हैं कि जो नेताजी सूखे पेड़ की तरह वर्षों से चेतना शून्य स्थिर थे उनमें भी सक्रियता की न केवल कोंपलें फूटी बल्कि फूल भी उनमें दिखाई देने लगे हैं ।
               मूक वनस्पति जैसे मुखर हो उठती है इन दिनों ठीक इसी प्रकार मूक नेताजी भी चुनावी वसंत के प्रभाव से मुखर होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में लगे हैं ।
                  जगह जगह बगीचों की भाँति सभाओं की भरमार, छटा बिखेरे हुए हैं और उनमें जयकारों की बासंती वयार के तो क्या कहने ।  नेता लोग इस चुनावी वसंत में कोई कोयल तो कोई मयूर बनकर कुहुकते और नर्तन करते भी देखे जा सकते हैं । इन दिनों तो कौवे की कर्कश आवाज भी भाने लगी है बहुतों को । ये वसंत का ही असर है की दो विरोधी विचार धारा की पार्टियां भी सगी बहन बनकर एक दूसरे का साथ दे रही हैं । एक पार्टी के नेता दूसरी पार्टी के नेताओं को प्रेम-मिलन हेतु गुप-चप आमंत्रण भी दे रहे हैं और कुछ ने तो आमंत्रण स्वीकार भी किया ।
     वसंत से पहले और वसंत के बाद चुप रहने वाली आम जनता भी इन दिनों ‘चुनावी वसंत’ का आनंद ले रही है । घर से निकल सड़कों पर, दुकानों पर पत्रकारों के समक्ष अपनी राग-धमाल आलाप रही है जैसे पुरानी फिल्मों में कलाकार फूल खिली बगियों में जाकर अपने-2 प्रेम-उद्गार व्यक्त किया करते थे गीतों रागों के माध्यम से । वसंत प्रकृति वाली हो या चुनावी दोनों ही लुभाती है इंसान को ।
                     पर इन दिनों ॠतु वसंत कुछ मायूस व अनमनी सी लग रही है इंसान को फुर्सत ही नहीं है उसके सौन्दर्य को निहारने की, वह तो आजकल आकर्षित है ‘चुनावी- वसंत’ की ओर…
— व्यग्र पाण्डे 

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,स.मा. (राज.)322201