पर्यावरण

होगा संकट में जीवन

न कोई प्रलय आयेगी! न कोई सुनामी आयेगी! किन्तु एक दिन ओ जरूर आयेगा जिस दिन मनुष्य अपने ही विछाये हुये जाल में फंस कर पंख फड़फड़ाने लगेगा और उसे बचाने वाला कोई नहीं होगा। वर्तमान समय के मनुष्य की जरूरतें बहुत तेजी से बढ़ रहीं हैं बिना सोंचे समझे नये नये अविष्कार निरन्तर किये जा रहे हैं, उन आविष्कारों में एक सबसे बड़ा आविष्कार आज के दौर में प्रचलित है टेलीकॉम कंपनियों का है जो दिन दूना रात चौगुना विकास कर रही हैं एक दूसरे को नींचा दिखाने के कारण इलेक्ट्रानिक क्षमताओं को निरन्तर बढ़ाया जा रहा है जिसका दुष्परिणाम आज के दौर में प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है जरूरत है तो उस पर विचार करने की!

वर्तमान समय में मनुष्य के अन्दर घबराहट और चिड़चिड़ापन बहुत अधिक होंने लगा है मनुष्य के स्वभाव में अभी मामूली बदलाव आया है वो इस लिये कि उसका शरीर अभी प्रतिरोधक क्रियाओं को झेलने में सक्षम है हमारे बीच कुछ जीव जन्तु इस प्रकार के भी थे जो आधुनिकता को नहीं झेल पाये! और आज वो कहीं हमसे बहुत दूर जाकर चहचहा रहे होंगे! जी हाँ हम बात कर हैं उन पंक्षियों की जो तुम आज से 10 से 15 वर्ष पहले देखते थे किन्तु वह अचानक कहाँ चले गये! और क्यों चले गये! इसकी परवाह किसी को नहीं है! शायद आज हम इंसान नही रहे हम मशीन बनते जा रहे हैं चारो ओर से हम मशीनों से घिरते जा रहे हैं पर्यावरण के तंत्र को बिना सोंचे समझे हम यंत्रों की इमारत खड़ी करते जा रहे हैं! जबसे मोबाइल कंपनियाँ अस्तित्व में आईं तब से पक्षियों का अस्तित्व खतरे में दिखाई देने लगा समय के साथ टावरों का विस्तार होता गया! और पक्षियों का स्तर लगातार गिरता गया और आज इतना गिर गया है कि गिद्धों का तो नामोनिशान मिट गया! तरह- तरह की चिंडि़याँ जो देखने को मिलती थीं वह सब अचनाक गायब हो गईं नींल गगन एक दम सूना सा हो गया! सांझ के वक्त पेंड़ों व झुर्मुटों से सुनाई देनें वाला कलरव अब हमसे कोसों दूर हो गया! अब हमारे कानों को चहचहाट की जगह सिर्फ चीख पुकार सुनाई दे रहा है! वो इस लिये आज हम स्वार्थी बन गये हैं सिर्फ अपने बारें में सोंचने लगे हैं! न तो हमें दूसरों की सुख-सुविधा का ख्याल है! और न ही हमें पर्यावरण की चिंता है! यही नही आज का इंसान जंगलों पर इस कदर टूट पड़ा है कि दूर-दूर तक दिखाई देनी वाली हरियाली अब दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है! जंगल में रहने वाले प्राणियों को अब कहीं ठिकाना नही मिल रहा है! इसका नतीजा यह है कि जंगली सियार अब रात को गाँवों में घूमते नजर आ रहे हैं! उनके अन्दर जो मनुष्य का डर था वह धीरे धीरे गायब हो रहा है पहले ये जानवर मनुष्य को देखते थे तो जंगल की ओर भागते थे अब आलम यह है कि इनको जब भगाया जाता है तब ही भागते हैं वह भी बिना मन के।

सभी पक्षियों में अगर देखा जाये तो कौआ कुछ शहनशील पक्षी दिखाई पड़ा जो वर्षों से वायु मण्डल में मौजूद नेटवर्क की तरंगों को झेलता आ रहा है लेकिन लगातार बढ़ी रही तरंगों के कारण अब इनकी संख्या में भी भारी गिरवाट देखने को मिलने लगी है! आंगन में फुदक- फुदक कर चलने वाली गौरैइया भी बहुत कम ही दिखाई पड़ रही है गौरैइया को कम दिखाई देने का कुछ कारण यह भी है कि आज के दौर में सभी के घर कंकरीट के हो चुके हैं इस लिये इसको रहने के लिये किसी के घर में जगह ही नहीं है हमारे आस-पास मौजूद परजीवी जीवों के बारे में किसी को जरा सा भी ख्याल नहीं है जिस तरह आज मानव परजीवी जीव जन्तुओं को नजरअन्दाज करने लगा है उसी तरह से वो धीरे-धीरे हमारे बीच से गायब भी होते जा रहे हैं। किसी ने सच ही कहा है जब किसी देश के व्यक्तियों के बारे में जानना हो तो उस देश के पशु पंक्षियों पर एक नजर डाल लेनी चाहिए उनके साथ हो रहे व्यावहार से उस देश के व्यक्तियों की मानसिकता का आकलन बड़ी ही आसानी से किया जा सकेगा।

आने वाला समय सम्पूर्ण मानव जाति के लिये बहुत ही भायनाक साबित हो सकता है अभी हम 4G में जी रहे हैं आगे 10G तक की सम्भावनाएं अपार हैं क्योंकि ये सच है जिसके पास जो होता है वह कम ही दिखाई पड़ता है! उसका विस्तार करने के लिये मनुष्य निरंतर प्रयासरत रहता है 2G अथवा 4G ये सब मात्र बानगी हैं अभी इसमें बहुत कुछ बाकी है एक दिन ऐसा आ जायेगा की हर मनुष्य अपने साथ एंटी रेडियेशन लेकर चलेगा क्योंकि उन दिनों में वायु मण्डल के अन्दर इतनी प्रबल इलेक्ट्रिक धारा का प्रवाह होगा कि मनुष्य का शरीर उसे सह पाने में असमर्थ होगा! चाह के भी इस प्रवाह को रोका नही जा सकेगा क्योंकि उस समय का सारा दारोमदार उसी प्रवाह पे निर्भर होगा और बीमारी की जो बैतरणीय बहेगी उसे हर कोई पार तो करना चाहेगा परन्तु उस वक्त किसी को कोई गाय नही मिलेगी की पूँछ पकड़ कर बैतरणी पार कर सके उस समय में लोगों के घरों में भी बदलाव देखने को मिलेगा क्योंकि अभी के लोग जमीन के ऊपर घर बना रहे हैं किन्तु उस समय में लोग जमीन के अन्दर घर बनाना शुरू कर देगें इसका एक कारण यह भी होगा उन दिनों सूरज में तपन आज से अधिक होगी! वो इस लिये मनुष्य अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है न तो उसे आज अपने पर्यावरण की चिन्ता है और न ही उस समय उसे ओजोन परत की चिन्ता रहेगी। दूसरी ओर सभी के पास समय का अभाव होगा किसी के लिये किसी के पास समय नही रहेगा बीबी बच्चे, माता, पिता, भाई, बहन सभी के साथ औपचारिकता ही निभाई जा सकेगी एक समुचित समय किसी को नही दिया जा सकेगा। यही नही मनुष्य के जीवन काल व उसके आकार में भी बहुत बड़ी कमी पायी जायेगी। एक दिन ऐसा भी आ जायेगा जिस दिन पृथ्वी पर चारों ओर हाहाकार मचाने वालों को हम ही बुलायेगे, क्योंकि हमें दूसरों के घर में झांकने की बहुत बुरी आदत है! कोई मतलब नही फिर भी हम ताका-झांकी करने से बाज नही आते हैं! चाहे वो चाँद हो, या मंगल हो, बृहस्पति, शनि, हो अब तो यह भी देखने की कोशिश करने लगें हैं कि सूरज में आखिर क्या जल रहा, हम तो सिर्फ सैर करने जाते हैं किन्तु हमारी ये सैर सपाटा से कोई तंग आ जायेगा तो शायद वह हमें लगंडा लूला ही बना के छोंड देगा, पूरी दुनियाँ के लोग पृथ्वी पर जब जाँ निसार करेगें तो समझ लेना परग्रही यहाँ पर विहार करेगें।

— राजकुमार तिवारी (राज)

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782