लघुकथा

लघुकथा – आस्था

रवि अपने खास दोस्त रहमान के साथ अपनी बाइक से लांग ड्राइव पर निकल गया। रामपुर डैम पहुंच कर दोनों ने खूब मस्ती की। लौटते हुए देर रात हो गई। दोनों दोस्त दिन भर की मस्ती में डूबे हुए थे कि अचानक सामने से आते हुए वाहन ने रवि की बाइक को टक्कर मार दिया। गाड़ी ड्राइव करते हुए रवि बुरी तरह घायल हो गया जबकि पीछे बैठे रहमान को खरोंच तक नहीं आई ‌। स्थिति की नजाकत को देखते हुए रहमान फौरन रवि को नजदीकी अस्पताल ले गया जहां डाक्टरों ने बिना देरी किए रवि का इलाज शुरू कर दिया। रहमान ने घटना की सूचना अपने और रवि के घरवालों को भी दे दी। दोनों के परिवार वाले तुरन्त अस्पताल पहुंच गये। रात भर रवि बेहोशी की अवस्था में रहा। डाक्टरों ने रहमान को बताया- “अभी हम कुछ नहीं कह सकते। दिन के दस बजे तक यदि रवि होश में आ गया तब कोई खतरा नहीं, दुआ कीजिए।”

रहमान अस्पताल से निकल कर फकीर बाबा के मजार पर पहुंचा और रवि की सलामती के लिए दुआ मांगी। वहां से वह सीधे हनुमान मंदिर पहुंचा। मंदिर के दीवार पर लिखा हनुमान चालीसा का पाठ किया। श्रद्धापूर्वक चरणामृत लिया और भागा-भागा अस्पताल पहुंचा। तब तक आठ बज चुके थे। उसने रवि के होंठों से चरणामृत लगाने की डाक्टर से इजाजत मांगी। रहमान की आस्था को देखते हुए डाक्टर ने स्वीकृति दे दी। ज्योंहि उसने रवि के होंठों से चरणामृत लगाया, रवि के बदन में थोड़ी हरकत हुई। डाक्टरों ने संतोष भरी नजर से रहमान को देखा और तत्काल चिकित्सकों की टीम रवि के उपचार में लग गई।

— विनोद प्रसाद

विनोद प्रसाद

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