गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे जाके इनायत माँगी है
जिंदगी में खुशी के वास्ते  मोहब्बत माँगी है
मौत उसकी ना जाने कब आ जाए इसलिए
खुदा से और कुछ दिन की मोहलत मांगी है
पिता के गुजर जाने के बाद भाई-भाई ने
लड़-झगड़कर एक दूसरे से दौलत माँगी है
वीर जवानों ने मातृभूमि की रक्षा के खातिर
अंतिम साँस तक लड़ते हुए शहादत मांगी है
ईश्वर ने कहा माँ के चरणों मे झुक जा
जब-जब मैंने इबादत में जन्नत माँगी है
सभी की आस्था से जहाँ पूरी होती वहाँ
धागा बांधकर मैंने भी एक मन्नत माँगी है
द्रोपदी ने भरी सभा मे जोड़ के हाथ
कृष्णा को याद कर इज्जत माँगी है
— शिवेश हरसूदी

शिवेश हरसूदी

खिरकिया, जिला हरदा (म.प्र.) मो. 8109087918, 7999030310