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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या यूजीसी की प्रासंगिकता

सबसे पहले यह जानते हैं कि ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ क्या है ? इसे अंग्रेजी में University Grants Commission कहते हैं। संक्षिप्त में UGC भी कहते हैं। UGC या यूजीसी के नाम से ज्यादा ही जाने जाते हैं। इस आयोग के द्वारा भारत में संचालित विश्वविद्यालयों को अनुदान प्रदान किया जाता है, इन सभी विश्वविद्यालयों को UGC द्वारा निर्धारित किए गए नीतियों को पूर्णरूपेण अनुपालन करना होता है। भारत सरकार ने उच्च शिक्षा हेतु मानकों का निर्धारण करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना की।

विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना एक वैधानिक निकाय के रूप में की गयी है। इनके द्वारा भारत में उच्च शिक्षा पर पूर्ण रूप से नियंत्रण रखी जाती है। इसके द्वारा बनाये गए नियमों-परिनियमों को सिर्फ केंद्रीय विश्वविद्यालयों को ही नहीं, राज्यस्तरीय यूनिवर्सिटी को भी अनिवार्य रूप से मानना होता है। यदि राज्य या केंद्रीय विश्‍वविद्यालय इसकी नीतियों का उल्लंघन करते हैं, तो उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाती है। कई स्वायत्तता के बावजूद यूजीसी पर केद्रीय मानव संसाधन विकास (HRD) अथवा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का पूर्ण नियंत्रण है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्माण का श्रेय ब्रिटिश शासन को जाता है। वर्ष 1944 में विश्वविद्यालयों के स्तर एवं गुणवत्ता में सुधार करने एवं समस्त विश्वविद्यालयों में एकरूपता लाने हेतु सार्जेन्ट योजना का निर्माण किया गया। इसके तहत सार्जेन्ट योजना में शिक्षा के स्तर में सुधार करने हेतु विश्वविद्यालय अनुदान समिति UGC के निर्माण का सुझाव सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना 1945 ई0 में महान शिक्षाविद प्रो. वेदप्रकाश द्वारा की गयी थी, तब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा-व्यवस्था को नियंत्रित और देखभाल का कार्य सौंपा गया था। सर्वप्रथम इसको एक समिति के रूप में चुना गया। स्वतंत्र भारत सरकार द्वारा 1946 में विश्वविद्यालय अनुदान समिति का गठन किया गया।

भारत को आजादी मिलने के बाद भारतीय विश्वविद्यालयीय शिक्षा में सुधारों और विस्तारों का सुझाव देने के लिए 1948 ई0 में विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग (UEC) की स्थापना की गयी, तब इसके अध्यक्ष डॉ एस. राधाकृष्णन जी थे| इनके द्वारा भारत सरकार से यह अनुशंसा की गयी कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का पुनर्गठन यूनाइटेड किंगडम के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के आधार पर किया जाए। इस प्रकार से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में पूर्णकालिक अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति का मार्गप्रशस्त हुआ। केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और राज्य विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा के संस्थानों को अनुदान प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने 1952 ई0 में एक निर्णय लिया, जिसके अनुसार ऐसी संस्थाओं को अनुदान से सम्बंधित सभी कार्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को प्रदान किए होंगे। यूजीसी की आधिकारिक तौर पर घोषणा 28 दिसंबर 1953 ई0 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के द्वारा की गयी थी, वर्ष 1956 में संसद में प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार के एक संवैधानिक निकाय के रूप में इसे स्थापित किया गया।

यूजीसी का मुख्यालय (UGC Headquarters) का मुख्यालय नई दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर है। मुख्यालय के अतिरिक्त यूजीसी ब्यूरो फिरोज शाह रोड पर तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस से भी इसका संचालन हीता है। यूजीसी के क्षेत्रीय कार्यालय (Regional Office of UGC) कुल 6 स्थानों में हैं, यथा- पुणे (Pune), हैदराबाद (Hyderabad), कोलकाता (Kolkata), भोपाल (Bhopal), गुवाहाटी (Guwahati), बैंगलूरू (Bangalore)

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्य :-

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी भारत के विश्वविद्यालयों में अनुसंधान, शिक्षण और परीक्षा हेतु मानकों का निर्धारण करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की शिक्षा व्यवस्था को बनाये रखना, भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए भारत सरकार को सुझाव देना, विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को अनुदान प्रदान करना, विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की जाँच करवाना यूजीसी के कार्य हैं।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों की सूची (UGC Approved University List) जारी किए जाते हैं। जब हम किसी भी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में एडमिशन लेने जाते हैं, तो हमें एडमिशन लेने से पहले Fake Universities List को जरूर चेक कर लेना चाहिए, क्योंकि यदि आपके कॉलेज को यूजीसी द्वारा मान्यता नहीं प्राप्त है, तो आपकी डिग्री की कोई भी वैल्यू नहीं होगी। इसे Fake Degree ही माना जाएगा और आपको इसके आधार पर कहीं भी जॉब नहीं प्रदान की जाएगी।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्यक्षेत्रों में शिक्षा स्तर में सुधार, पुनरावलोकन समिति, परीक्षा प्रणाली में सुधार, क्षेत्रीय अध्ययन, शोधात्मक कार्यों में सहायता, व्याख्याताओं की बहाली हेतु, अवकाश ग्रहण शिक्षकों की सेवाओं को संगठित करना इत्यादि।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) वह संस्था है जो समस्त विश्वविद्यालयों को अपने नियंत्रण में रखती है उनके लिए नियमों एवं नीतियों का निर्माण करती हैं। यूजीसी द्वारा देश के विश्वविद्यालयों हेतु गाइडलाइन का निर्धारण किया जाता हैं। यह विश्वविद्यालय के निर्माण हेतु अनुमति प्रदान करता है उन्हें मान्यता प्रदान करता है और सबसे महत्वपूर्ण यह समस्त विश्वविद्यालयों को उनकी आवश्यकतानुसार  अनुदान (आर्थिक सहायता) देने का कार्य करता है, इसलिए इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) कहा जाता हैं।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्यो का क्षेत्र बहुत व्यापक है, क्योंकि इसके अंतर्गत देश के सभी विश्वविद्यालय आते हैं और उनके संचालन हेतु समग्र नीति-नियमों के निर्माण करने की जिम्मेदारी होती हैं। यह विश्वविद्यालय निर्माण करने की अनुमति एवं मान्यता प्रदान करने का कार्य करती हैं।

विश्वविद्यालयों की शैक्षिक माहौल एवं समानता बनाए रखने हेतु यह सरकार को उचित परामर्श देता है। परामर्श देने से पहले यह विश्वविद्यालय का निरीक्षण कर उचित स्रोतों एवं जानकारियों को एकत्रित करता है। नए विश्वविद्यालयों के निर्माण हेतु यह क्षेत्रीय एवं प्रांतीय सरकारों को समक्ष सुझाव प्रस्तुत करता है। यह समय-समय पर सामाजिक आवश्यकताओं का अध्ययन कर पाठ्यक्रम में संशोधन करने का कार्य करता है और बदलते सामाजिक परिप्रेक्ष को देखते हुए यह नूतन मूल्यांकन पद्धति को भी अपनाने का कार्य करते हैं।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा उन छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है, जो विदेशों में अनुसंधान कार्यक्रमों द्वारा जाते है एवं अनुसंधान संबंधित सामग्री एवं नीतियों के निर्माण का कार्य भी इसी के द्वारा किया जाता है। शिक्षकों की योग्यता, परीक्षा,पाठ्यक्रम, वेतन एवं अन्य नीति-नियमों का निर्धारण भी इसी के द्वारा किया जाता है और इनके संबंध में अध्ययन कर उचित संशोधन करने हेतु सरकार को सलाह एवं परामर्श देने का कार्य भी इसी के द्वारा किया जाता हैं।

शिक्षकों यानी व्याख्याताओं की पदोन्नति करना,शिक्षकों का एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरण करना। शिक्षक-शिक्षा हेतु सिलेबस का निर्धारण करना, शिक्षक शिक्षा में नवीन संशोधन करना एवं शिक्षक बनने हेतु आवश्यक न्यूनतम योग्यताओं का निर्धारण कर उसे लागू करना।

यह आवश्यकतानुसार विश्वविद्यालयों में कार्यक्रम एवं समारोह का आयोजन करते रहता है, जिससे लोग उच्च शिक्षा की आवश्यकताओं को समझ सकें एवं विश्वविद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकें।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का उच्च शिक्षा के संदर्भ में बेहद अहम व महत्वपूर्ण है। इसके द्वारा किये गए समस्त कार्यक्रमों एवं नीतियों ने भारतीय उच्च शिक्षा में उचित सुधार किए है एवं परिपक्व नागरिकों का निर्माण किया हैं। यूजीसी ऐसे छात्रों को भी अनुदान प्रदान करने का कार्य करता है जो आर्थिक रूप से कमजोर है परंतु वह पढ़ाई में काफी अच्छे हैं। ऐसे छात्रों को यह उच्च अवसर प्रदान करने का भी कार्य करता हैं।

यह राज्य एवं केंद्रीय सरकारों को उच्च शिक्षा के संबंध में अध्ययन कर सुझाव देने का कार्य करती है उच्च शिक्षा में छात्रों का प्रोत्साहन एवं मनोबल बढ़ाने हेतु आयोग द्वारा समय-समय पर सेमिनार आयोजित किये जाते है। जिससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्यापकता आती है और समाज शिक्षा की उपयोगिता और आवश्यकता से परिपक्व होता हैं।

यह शिक्षक-शिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रम एवं न्यूनतम योग्यताओं के संबंध में निरंतर परिवर्तन करता रहता है। जिससे छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाले कुशल शिक्षक मिल पाते है और जिस कारण भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता एवं निरंतरता में भी वृद्धि होती हैं।

यूजीसी (UGC) द्वारा निरंतर विश्वविद्यालयों का निरीक्षण किया जाता है एवं उनकी आवश्यकताओं को लिखित रूप देकर उनकी गुणवत्ता में सुधार करने एवं महाविद्यालयों के स्तरों में समानता लाने के लिए एवं साथ ही आयोग द्वारा अनुमति प्रदान करने का कार्य भी किया जाता हैं। जिससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि करने एवं पाठ्यक्रम में समानता लाने का कार्य भी करती हैं।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) उच्च शिक्षा की सबसे बड़ी और एक महत्वपूर्ण इकाई है जो शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने हेतु निरंतर गतिशील रहती है परंतु इस आयोग की अच्छाई के साथ-साथ कुछ सच्चाइयां भी है जो आयोग के लक्ष्य की पूर्ति में बाधा बनने का कार्य करती है जैसे- भ्रष्टाचार, लापरवाही , उत्तरदायित्व के प्रति गम्भीर ना होना इत्यादि। यह ऐसे छात्रों के लिए शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं करती, जो अपनी परिस्थितियों के कारण पड़ने-लिखने में असमर्थ हो।

यूजीसी के द्वारा राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा (National Eligibility Test – NET) का आयोजन किया जाता है। इस परीक्षा का मुख्य उद्देश्य यूनिवर्सिटीज एवं महाविद्यालयों के लिए योग्य शिक्षकों को तैयार करना है। इस परीक्षा का आयोजन वर्ष में दो बार किया जाता है। यदि अभ्यर्थी इस परीक्षा में सफल हो जाता है, तो यूनिवर्सिटीज एवं महाविद्यालयों में रिक्त पदों पर भर्ती के लिए आवेदन कर सकता है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.