बाल कविता

देखो ग्रीष्म ऋतु आई है

देखो ग्रीष्म ऋतु आई है
भीषण गर्मी ले आई है।

गर्मी से सब हलाकान हैं
गर्मी से सभी परेशान हैं।

जब-जब गर्मी बढ़ती है
प्यास हमे खूब लगती है।

गले हमारी सुख जाती है
तब ठंडी कुल्फी भाती है।

कुल्फी-लस्सी ललचाती है
बच्चों के मन को भाती है।

जब कुल्फी दिख जाती है
तब-तब आखें ललचती है।

बर्फ के गोले इन्हें लुभाती है
गन्ने जूस इनको भा जाती है।

कुल्फी जूस को पाकर मन मे
बच्चों में खुशियाँ छा जाती है।
— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578