लघुकथा

मेरा मुन्ना आएगा

घर में चारों तरफ खुशियों का माहौल पसरा है. आज सावित्री की बेटी नीना का विवाह जो है, सावित्री एक कोने में चुपचाप उदास मन से बैठी कुछ सोच रही थी, कि अब उसकी नीना कुछ पल की मेहमान है, फिर तो पराई हो जाएगी इससे कई गुना ज्यादा अपने बेटे मुन्ना की बातें उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी. मुन्ना पहले कहा करता था अपनी माँ से कि तुम इन चारों बेटियों को इतना मत पढ़ाओ. m.a.,B.Ed या कंप्यूटर कोर्स मत करवाओ. ये तो दूसरे के घर जाएगी पढ़ाने से हमें क्या लाभ होगा. सावित्री का दिल मुन्ना से उचट गया था. तभी बाहर से आवाज आती है- सावित्री बुआ बारात चौखट तक आ गई है.
फिर सभी रस्मों रिवाजों से नीना की शादी हो गई. सवेरा होते ही नीना ससुराल चली गई. कुछ दिन बाद सावित्री के घर में फिर वैसा ही कोहराम मचा हुआ था,मुन्ना का कहना था कि अब तीनों को मत पढ़ाओ, जितना पढ़ाना था पढ़ ली. इनकी भी अब शादी कर दो किंतु सावित्री का कहना था कि हम पढ़े-लिखे नहीं है लेकिन अपने बच्चे को जहां तक हो पाएगा वहां तक पढ़ाएंगे. वैसे वह मुन्ना से कुछ नहीं कहती, बस सुनकर आंसू बहा लेती थी. सावित्री और मिट्ठू दास दोनों पति-पत्नी ने मिलकर मेहनत कर अपनी तीनों बेटियों और बेटा को पढ़ाया. कर्ज लेकर तीनों बेटियों की शादी की.
शादी में लिए कर्ज दोनों पति-पत्नी ने पाई पाई चुका भी दिया ताकि कल दिन मुन्ना पर कहीं कोई बोझ रह ना जाए , किंतु मुन्ना अलग ही किस्म का लड़का था. एक दिन अपने पापा से कहने लगा- आप लोगों ने मेरे लिए क्या रखा है? सारा धन- दौलत तो उन बेटियों पर लुटा दिया, बात-ही-बात में मुन्ना ने अपने पिता पर हाथ भी उठा दिया और कहा तुम दोनों के लिए यह जगह नहीं है, तुम दोनों अभी के अभी यहां से चले जाओ….. नहीं तो मैं धक्के मारकर निकाल दूंगा. मुन्ना सावित्री और मिट्ठू दास को धकियाते-घसीटते वृद्धा आश्रम छोड़ आया, लेकिन जब मुन्ना आने लगा, तो सावित्री भरे आंखों में आंसू लिए बोली…. बेटा अपना ख्याल रखना. लेकिन मुन्ना ने उन लोगों को पलट कर भी नहीं देखा. आज तक सावित्री इस इंतजार में बैठी है कि उसका बेटा उसे लेने जरूर आएगा. मिट्ठू दास ने जहां इसे नियति समझ मौन धारण कर लिया है वहीं सावित्री पथराई आंखों से बाहर देखते अचानक बोल उठती है- मेरा मुन्ना आएगा…

— राज कुमारी

राज कुमारी

गोड्डा, झारखण्ड