गीतिका/ग़ज़ल

जीवन जल निकलेगा

संकट संबल निकलेगा।
भाई का बल निकलेगा।
पत्थर की कारा से अब,
जीवन रस जल निकलेगा।।
सब अपने, कौन पराया।
मन निर्मल, छल निकलेगा।।
कल छोड़ो, कल की सुध लो
रो मत काजल निकलेगा।।
भालू का बना बिजूका।
डर मत कंबल निकलेगा।।
सड़कों पर गायें मरतीं।
न गोभक्त दल निकलेगा।।
चिंतन से हर सवाल का।
समाधान हल निकलेगा।।
खेतों में राख भगत की।
देशभक्त दल निकलेगा।।
— प्रमोद दीक्षित मलय

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - pramodmalay123@gmail.com