कवितापद्य साहित्य

स्वागत स्वागत नव संवत्सर

स्वागत स्वागत नव संवत्सर,

हर द्वार  सजा  है  बंदनवार।

घर घर  से भक्त  निकल रहे,

लिए थाल   पुष्पों  का  हार।।

हर  कोई  सरपट दौड़ रहा,

पहुंच   रहा  माता  के द्वार।

हर कोई व्याकुल दीख रहा,

कब  हों  माता  के   दीदार।।

घंटे की ध्वनि गूंज रही थी,

मंदिर  माता भीड़ अपार।

भक्तों  की   थी  रेला पेली,

गूंजे  माता की  जय  कार।।

स्वागत स्वागत नव संवत्सर,

घर घर  होए  खुशी  अपार।

आज हर  कोई  बोल रहा है,

माता  की  जय  जय  कार।।

— अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र

शिक्षाविद,कवि ,लेखक एवं ब्लॉगर