कविता

खुशबू

सबकी बातें मैं सुनता हूँ
अपनी मन की करता हूँ
अच्छा लगे या लगे बुरा
जग के आगे मैं नहीं झुका

खुशबू का अपना गुण है
वन में जैसे चन्दन    है
बदबू का नहीं यहाँ है काम
महका दो सौरभ से जहान

अच्छे मार्ग को अपनाना है
कुमार्ग को बाय बाय कर जाना है
मिल जायेगा एक दिन आपको मुकाम
अच्छे कर्म है जग में महान

इन्सानियत को नहीं भूलना है
असुर का संगत नहीं करना है
अपन का होगा जग में गुणगान
हर मानव को बन जाना है महान

जग से अपना एक नाता है
कर्म का फल संग जाता है
अच्छे कर्म का करो निर्माण
जग हो जायेगा निश्तित महान

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088