पर्यावरण

ब्रम्हांड में डायनासारों के विनाश वाली पुनरावृत्ति एक बार फिर से होगी

हम जिस तरह से आये थे उसी तरह से जायेंगे! जी हां हमारी उत्तपत्ति जैसे हुयी थी विनाश भी वैसे ही होगा आज से लगभग 7 कारोड़ वर्ष पूर्व के अतीत में झांक कर देखा जाये तो उस समय हमारी पृथ्वी पर सबसे खतरनाक प्राणी डायनासोरों का निवास था, डायनासोर दूसरे जीव जन्तुओं के लिये काल के समान थे, ये विशालकाय होने के साथ साथ मांसाहारी जीव थे उस समय मानव जाति पृथ्वी पर नही थी अगर होती भी तो इनके होते हुये मानव सभ्यता विकसित हो पाना संभव नही था इस लिये मानव सभ्यता का उदय होने के लिये डायनासोर युग का समाप्त होना बहुत जरूरी हो गया था, इनके आतंक से कुदरत भी ऊब चुकी थी करोड़ों वर्षोें तक डायनासोरों के कब्जे में पूरी पृथ्वी रही धरती के कोने- कोने में इन्ही का आतंक व्याप्त था ऐसा लग रहा था मानो पूरी धरती अब इन्ही की होकर रह गयी है किसी दूसरी सभ्यता को पनपनें की कोई जगह ही पूरी पृथ्वी पर नही बची थी।

लेकिन! शायद कुदरत को इनकी बर्बरता अब रास नही आ रही थी जो चाह रही थी वैसा नही हो रहा था, इसलिये इनको समाप्त करने के लिये रौद्र रूप अपनाते हुये एक बड़ा सा उल्का पिंड पृथ्वी की ओर छोंड़ दिया, पृथ्वी से टकराते ही पूरी धरती पर भूकम्प, आगजनी, तूफान जैसी प्रलय एक साथ उत्पन्न हो गयी, जगह – जगह पर ज्वालामुखी धधक उठी, उल्का पिंड के टकराव से धूल का जो भयानक गुबार उठा वह पृथ्वी के वायुमण्डल में कई वर्षों तक रहा जिसमें डायनासारों का अस्तित्व ही पूरी पृथ्वी से मिट गया धूल के कारण पूरी पृथ्वी अंधेरे में डूब गयी सूर्य की किरणे न पड़ने से पृथ्वी एकदम ठंडी हो चुकी थी इस भयानक प्रलय से जो बच गये वह मारे ठंड के मर गये, अब पूरी धरती एकदम बीरान हो चुकी थी किसी प्रकार की कोई सभ्यता, किसी जीवों का निवास नही था, अब हमारी पृथ्वी एकदम नयी नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी, कुदरत ने भी अपनी सारी सुन्दरता वार दी थी अब समय आ चुका था मानव सभ्यता के उदय का।

धरती से खतरनाक जीव डायनासोरों के अंत के बाद मानव सभ्यता का उदय हुआ मानव जाति के प्राणी चार पैरों से चलते-चलते दो पैरों पर खड़े होनें तक के सफर की गवाही धरती, सूर्य, चांद सितारे ये सभी हैं क्योंकि ये युग-युगान्तर से जैसे हैं वैसे आज भी चले आ रहे हैं, परन्तु आज हम बदल गये! इतना बदल गये हैं कि कुदरत को भी कुछ नही समझ रहे, एैसे-एैसे कारनामें आज हम कर रहें है जिसे देखकर कर लगता है कुदरत अब मेरे आगे कुछ भी नही है, अपनी जाति के आगे किसी दूरी प्रजाति को पनपने के लिये आज कल कुछ भी नही छोंड़ा जा रहा है, आज हम एकदम वैसे करने लगे हैं जैसे कभी पहले डायनासोर करते आये हैं, वर्तमान समय में पूरी धरती पर सबसे खतरनाक प्राणी मानव है जिस दिन बर्बरता की सारी हदें पार हो जायेंगी, दूसरे जीव जन्तुओं के लिये जिस दिन मानव जाति पूरी तरह से कीटनाशक बन जायेगी तो इस ब्रम्हांड में डायनासारों के विनाश वाली पुनरावृत्ति एक बार फिर से होगी पूरा भूगोल बदल जायेगा हम जिस वक्त को आज बुला रहें हैं उस वक्त से निपटने के लिये पूरी पृथ्वी पर कोई इतंजाम नही है सिर्फ सभी को निपट जाना ही बचेगा

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782