मुक्तक/दोहा

मां, स्नेह रेशम डोर!

मां की ममता से खिले, घर-आंगन में प्यार।
दिल में अपनापन रहे, गूंथे स्नेहिल हार।।
मां मूरत करुणामयी, पावन, निर्मल भाव।
आँचल में सौख्य लहरे, प्रेमिल शीतल छांव।।
सब मिलजुल सादर रहे, मन में प्रीत बहार।
सुखदुख के साथी बने, ईर्ष्या न अहंकार।।
माता रेशम डोर-सी, बांधे प्रेम परिवार।
हमजोली मां फूल-सी, हो जीवन गुलजार।।
माता-सा कोई नहीं, लो शुभ आशीर्वाद।
ममता दुलार छांव में, मिलता सुख आनंद।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८