लघुकथा

मंत्र

रेस के मैदान में सलोनी दौड़ने को बिलकुल तैयार थी. रेस शुरु होने का संकेत मिलते ही रेस शुरु हुई. सलोनी ने भी दौड़ना शुरु किया. पर यह क्या! दौड़ना शुरु करते ही उसके जूते का फीता खुल गया. उसने रुक कर फीता बांधा और दौड़ना शुरु किया.
वह दौड़ी, तेज दौड़ी, और तेज दौड़ी, तूफान से भी तेज दौड़ी और सलोनी जीत गई——–
अपनी जीत पर उसे जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ. उसके दादा जी द्वारा दिया गया जीत का मंत्र जो उसके साथ था!
“घायल तो हर परिंदा है,
मगर जो फिर से उड़ सका, वही जिंदा है.”

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244