कविता

तलाश

उजाले की राह में हर कोई होता है साथ
हँस हँस कर हर मोड़ पे करता है वो बात
पर मुझे तलाश है उस साथी         की
जो अंन्धेरे में भी पकड़ ले मेरा भी हाथ

सुख की राह में हर कोई होता है साथ
संग संग चलने की हर पल करता है वो बात
पर मुझे तलाश है      उस  साथी    की
जो दुःख में भी पकड़ ले मेरा भी    हाथ

सीधी राह पे हर राही होता है साथ
कदम से कदम मिलाकर चलने की करता है बात
पर मुझे तलाश है      उस   साथी  की
जो पत्थरीली राह में भी पकड़ ले मेरा हाथ

सत्ता के गलियारे में हर कोई है साथ
बात बात में मिल जल कर करता है वो बात
पर मुझे तलाश है उस साथी की
जो मुसीबत में भी पकड़ ले मेरा भी हाथ

उपदेश के मंच पर हर कोई होता है साथ
हर पल लम्बी चौड़ी की करता है वो बात
पर मुझे तलाश है उस साथी की
जो कष्टों में भी पकड़ ले मेरा भी हाथ

सफलता की हर मोड़ पर होता है वो साथ
ताली बजा अफजाई की करता है वो बात
पर मुझे तलाश है उस साथी क़ी
जो असफलता के दौर में भी पकड़ ले मेरा हाथ

मलाई की टेबल पर हर कोई होता है साथ
बात बात में साथ रहने की करता है वो बात
पर मुझे तलाश है उस साथी की
जो भूखा रहने पर पकड़ ले मेरा भी वो हाथ

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088