कविता

चंद्रमणि छंद “गिल्ली डंडा”

चंद्रमणि छंद “गिल्ली डंडा”

गिल्ली डंडा खेलते।
ग्राम्य बाल सब झूमते।।
क्रीड़ा में तल्लीन हैं।
मस्ती के आधीन हैं।।

फर्क नहीं है जात का।
रंग न देखे गात का।।
ऊँच नीच की त्याग घिन।
संग खेलते भेद बिन।।

खेतों की ये धूल पर।
आस पास को भूल कर।।
खेल रहे हँस हँस सभी।
झगड़ा भी करते कभी।।

बच्चों की किल्लोल है।
हुड़दंगी माहोल है।।
भेदभाव से दूर हैं।
अपनी धुन में चूर हैं।।

खुले खेत फैले जहाँ।
बाल जमा डेरा वहाँ।।
खेलें नंगे पाँव ले।
गगन छाँव के वे तले।।

नहीं प्रदूषण आग है।
यहाँ न भागमभाग है।।
गाँवों का वातावरण।
‘नमन’ प्रकृति का आभरण।।
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चंद्रमणि छंद विधान –

चंद्रमणि छंद 13 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। यह भागवत जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 13 मात्राओं की मात्रा बाँट ठीक दोहा छंद के विषम चरण वाली है जो 8 2 1 2 = 13 मात्रा है। अठकल = 4 4 या 3 3 2।

यह छंद उल्लाला छंद का ही एक भेद है। उल्लाला छंद साधारणतया द्वि पदी छंद के रूप में रचा जाता है जिसमें ठीक दोहा छंद की ही तरह दोनों सम चरण की तुक मिलाई जाती है। जैसे –

“जीवन अपने मार्ग को, ढूँढे हर हालात में।
जीने की ही लालसा, स्फूर्ति नई दे गात में।।”
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

नाम- बासुदेव अग्रवाल; जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं। (1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।) (2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)