मुक्तक/दोहा

मुक्तक

अति विनम्रता हानिकारक, ज्ञानीजन यह कहते,
दुष्टों की दुष्टता को, सदा सज्जन जन ही सहते।
विनम्र बने वृक्ष नित फल देते, पत्थर सहने पड़ते,
सदा विनम्रता हानिकारक, शास्त्र सदा यह कहते।
झुकने की सीमा से ज़्यादा झुकना, बुज़दिली कहलाता,
सच के विरोधी लोगों से समझौता, बुज़दिली कहलाता।
सी ए ए- एन आर सी, किसान आन्दोलन पर ख़ामोशी,
प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर खामोशी, बुज़दिली कहलाता।
मस्जिद से तलवारें ख़ंजर, बम बारूद भी चलते,
भीड़ तन्त्र दबाव सच पर, व्यंग्य बाण भी चलते।
राज्य प्रायोजित हिंसा होती, हिन्दू पलायन होता,
सरकारों पर संविधानिक बाण, क्यों नहीं चलते।
किसान हित में कृषि बिल, चंद किसानों ने ठुकराया,
युवाओं के हित अग्नि वीर, कुछ युवाओं को भटकाया।
देश विरोधी सभी ताक़तें, कुछ विरोधी दल के नेता,
राष्ट्र विकास की प्रक्रिया, कुछ ने अवरोध अटकाया।
— अ कीर्ति वर्द्धन