लघुकथा

तपस्या रंग लाई

                                                  ऑटीस्टिक प्राइड डे पर विशेष

आज धीरन 100 मीटर की राज्य स्तर रेस में प्रथम आया था. उसे ट्रॉफी तो मिलनी ही थी, साथ ही उसकी पसंद के बहुत बढ़िया चॉकलेट का डिब्बा भी मिला, जो उसके पापा ने आयोजकों को पहले ही प्रथम-द्वितीय-तृतीय स्थान पाने वाले बच्चों के लिए दिया था.
धीरन भी समझ तो गया था, कि मैंने कोई बड़ी विजय प्राप्त की है, इसलिए सब लोग तालियां बजाकर खुश हो रहे हैं.
धीरन के पापा ने कैसे अपने खुशी के आंसुओं को रोक रखा था, खुद उन्हें भी नहीं पता!
धीरन की मां की आंखों के आगे पूरी 11 साल की रील चल रही थी. बेटा होने की खुशी, तीसरे दिन पता चलना कि वह आटिज्म से पीड़ित है, आटिज्म यानि पूरी उम्र की विकलांगता! इसका कोई इलाज भी नहीं!
“बच्चा कहां क्या कर रहा है, उसे कुछ पता ही नहीं चलता. जब उसे मुस्कुराना चाहिए, नहीं मुस्कुराता. जब उसे रोना चाहिए, खी-खी खी-खी करके हंसता. अकारण हंसना-रोना, किसी को पहचानने का संकेत न देना, ढेरों समस्याएं थीं, जिनके साथ घर-परिवार के सभी लोगों को दो-चार होना पड़ता था. धीरन निर्लेप रहता, उसे किसी चीज का भान जो नहीं ही होता था!”
“धीरन बेटा फिरनी खाएगा!” मां ने बड़ी हसरत से अपने लिए बेटे की एक मुस्कुराहट देखने के लिए उमंग से फिरनी का कटोरा सामने रखते हुए कहा.
उसने न मां आवाज सुनी, न ही उनकी खुशी से सराबोर मुस्कुराहट देखी. फिरनी उसे पसंद थी, उसे देखकर ही-ही-ही करके हंसा और तालियां बजाते हुए फिरनी खाने लग गया.
मां तनिक भी हैरान नहीं हुई, चार साल से धीरन यही तो कर रहा था! शुक्र है मनीषा जैसी बहुत बढ़िया तीमारदारी करने वाली नर्स मिल गई थी, जिसकी अनेक ट्रिक्स (युक्तियों) के कारण धीरन कुछ-कुछ बोलने-सुनने-समझने लग गया था. उसी ने धीरन के पापा को रेस के लिए तैयार करने का सुझाव दिया था.
मनीषा धीरन और उसके पापा के साथ पार्क जाती, पापा रेडी-स्टेडी-गो कहते और मनीषा दौड़ना शुरु करती. धीरे-धीरे धीरन भी समझ गया और रेडी-स्टेडी-गो कहते ही धीरे-धीरे दौड़ने भी लग गया. छोटे पार्क से बड़े पार्क, फिर अपनी कॉलोनी से साथ वाली कॉलोनी से करते-करते आज धीरन राज्य स्तर रेस में प्रथम आया था. अचीवर, विजेता, विजयी बनकर धीरन ने अपने नाम को साकार किया था.
“कहते हैं आटिज्म से पीड़ित व्यक्ति कुछ नहीं कर पाता. विकलांगता से भी बड़ी विकलांगता है- आटिज्म. धीरन सभी विकलांगों की रेस में प्रथम स्थान पा सका, कारण स्पष्ट है- माता, पिता और नर्स मनीषा के साथ धीरन की तपस्या रंग लाई है.” लेफ्टिनेंट गवर्नर ने धीरन को ट्रॉफी देते हुए कहा.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “तपस्या रंग लाई

  • *लीला तिवानी

    ऑटिज़्म का निदान ( autism ka needan ) करना मुश्किल है, क्योंकि रक्त परीक्षण की तरह कोई मेडिकल टेस्ट नहीं है। बजाय आटिज्म ( autism meaning in hindi ) की विशेषताओं में एक व्यक्ति से दूसरे में भिन्नता है, लेकिन निदान के लिए क्रमशः एक व्यक्ति का मूल्यांकन आमतौर पर सामाजिक संचार और सामाजिक संपर्क के साथ लगातार कठिनाइयों और व्यवहार, क्रियाकलापों या रुचियों के प्रतिबंधित और दोहराव वाले पैटर्न के रूप में किया जाएगा। प्रारंभिक बचपन तक, “सीमा और रोजमर्रा के कामकाज को कम करने” की सीमा तक। आटिज्म ( autism in hindi ) के लिए कोई ‘इलाज’ नहीं है ( autism ka ilaaj nahi hai ) हालांकि, कई रणनीतियों और दृष्टिकोण हैं – सीखने और विकास को सक्षम करने के तरीके – जो लोगों को मददगार साबित हो सकता है।

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