सामाजिक

शादी के नाम पर क्या बस दिखावा हमारा फ़र्ज़

शादी के नाम पर क्या दिखावा करना है अब हमारा फर्ज हो गया है सच है परंतु यह कड़वा सच ऐसा सच है जिससे कोई भी मुंह नहीं मोड़ सकता है जानते सभी हैं इस कड़वे सच को परंतु कहता कोई कुछ नहीं है आज जब मन पर मेरे जज्बातों की वेदना ने दस्तक दी तो कलम चला ही ली , जी हां शादी के नाम पर की जाने वाली धूमधाम पर अनगिनत लाखों रुपए उड़ा दिए जाते हैं साथ ही साथ दिखावे के चलते मेहमानों को खुश करने के लिए कितने प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं इतना सारा व्यंजन एक इंसान एक साथ में खा सकता है वह थोड़ा-थोड़ा ही चखता है , आप ही सोचिए मेहमानों की आवक संख्या से अधिक भोजन परोसा जाता है जिसके कारण इतना सारा भोजन शादियों में बस जाता है जोकि अगले दिन यदि कोई समझदार इंसान होता है तो वह किसी बस्ती में जाकर गरीबों में बटवा देता है कई लोग तो ऐसे होते हैं जो खाने की बर्बादी को दूसरे दिन नालियों या कूड़ेदान में फेंक आते हैं आप सोचिए कितना लाख ओटन भोजन इस तरह हमारे देश में सिर्फ दिखावे के चलते हुए बर्बाद कर दिया जाता है । यह चर्चा करते हैं हमारे देश की गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों के लिए जिनके पास दो वक्त की रोटी खाने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं जो एक-एक दाने के लिए तरसते हैं और साथ ही चर्चा करते हैं उन किसानों के लिए जो दिन-रात खुद को खफा ना जाने कितनी बार अपने हाथों को जख्मी कर के हमारे लिए खेतों में अन्न उत्पन्न करते हैं सोचिए जिस भरी दोपहरी में हम मध्यमवर्गीय लोग या अमीर लोग बाहर धूप में निकल कर कूलर के नीचे एसी के नीचे बैठना पसंद करते हैं वही यह किसान धूप में अपने शरीर को जलाकर दिन-रात खेतों में हल चलाकर हमारे लिए अनाज का बंदोबस्त करते हैं ताकि हम भोजन करके चैन की नींद भी ले सके , गरीबों के लिए भी सोचिए भोजन के एक-एक दाने के लिए भूख से बिलखते अपने बच्चों को रोता हुआ देखकर वेदना से भरे रहते हैं और हम खाना तो खाते हैं पेट भर के साथ ही बच्चे खाने को व्यक्त करते हुए नालियों में बहा देते हैं । जहां एक और शादियों में अब शादी के नाम पर सिर्फ दिखावा ही दिखावा नजर आता है वहीं दूसरी ओर दिखावे के साथ-साथ भोजन की बर्बादी साथ ही पैसों की कितनी बर्बादी हो जाती है हम सभी को जागरूक इंसान बनते हुए अपने समाज के बारे में भी सोचना चाहिए यदि हम शादी को सादगी रूप से करते हुए बचे पैसों से कुछ हिस्सा अनाथ बच्चे की शिक्षा में व्यय करें किसी कैसे भी करके मदद करें आत्म संतुष्टि का अनुभव होगा साथ ही भोजन की बर्बादी को भी रोका जा सकता है । आपने देखा ही होगा हम जितने भी लजीज पकवान या जितनी भी धूमधाम से शादियां करवा ले अपने परिवार में लाखों रुपए उड़ा ले फिर भी कोई कहीं ना कहीं खामियां हमारे द्वारा की गई बता ही देता है , इतना कुछ करने के बाद इतनी खामियों को सुनने से अच्छा है कि हम बचे पैसों के कुछ जो हमारे दिल से श्रद्धा सुमन स्वरूप किसी के सहयोग के लिए काम आ सके हमारे जीवन में खाते में लिखे जाएंगे शादी में होने वाले व्यर्थ व्यय के साथ-साथ भोजन के अध्याय को भी रोकना हमारा ही दायित्व है उन किसानों की मेहनत की कद्र करना हमारा ही दायित्व है साथ ही गरीबों असहाय लोगों के बारे में सोचना भी एक जिम्मेदार नागरिक बनते हुए भारत देश के वासी अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए इस बर्बादी को रोकने के लिए सहयोग कर सकते हैं यह सहयोग किसी की जिंदगी सवार सकता है किसी को एक ऊंचे मुकाम पर ले जा सकता है आशा करती हूं कि भविष्य में इस तरह के भोजन के नुकसान को रोकने के लिए भारतीय नागरिक होते हुए आप सभी लोग जरूर आगे आएंगे , देश के हित में ही हम भारतीयों का है।
— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित