स्वास्थ्य

डॉक्टर साहिब, आपका आभार!

अभी नींद खुली भी न थी कि मोबाइल कि घंटी बजती है। स्क्रीन पर कोई नंबर नहीं है, यानी फ़ोन करने वाला मेरे संपर्क में नहीं है। फिर भी यह सोचते हुए कि न जाने कौन होगा, कोई मरीज़ ही होगा, मैं फ़ोन उठा लेता हूँ।

” डॉक्टर साहिब बोल रहे है ? उधर से फ़ोन करने वाले ने पुछा तो मैं, ” जी हाँ बोल रहा हूँ, कहिये ?”

” माफ़ करना डॉक्टर साहिब, सुबह सुबह आपको नींद से उठा दिया, उसने कहा, तो मैंने जवाब में कहा, ” कोई बात नहीं, ” कहिये। ”

” जी, मैं राकेश बोल रहा हूँ। मुझे आपका फ़ोन नंबर मेरे मित्र आकाश ने दिया, जो आनंद नगर में रहता है और जिसके परिवार के आप फॅमिली डॉक्टर है। ”

मेरे ” हम्म,” कहने पर उन्होंने अपनी बात जारी रखी, ” मुझे आधी रात से लूज़ मोशन हो रहे है, कोई दवाई बता दीजिये। ”

मैंने कुछ और प्रश्न पूछे और फिर दवाई बता दी।

” थैंक यू डॉक्टर साहिब, आपको डॉक्टर्स डे की बधाई हो । ”

मैंने जवाब में थैंक्स कहा और फ़ोन काट दिया।

ओह, आज तो ‘नेशनल डॉक्टर्स डे’ यानी राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस है, जो हर वर्ष 1 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन महान चिकित्सक, डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय, का जन्म हुआ था जो पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी रहे। उनकी पुण्यतिथि‍ को हर वर्ष केंद्र सरकार ने साल 1991 से उनकी पुण्यतिथि‍ को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की थी। उन्हीं को याद करते हुए और डॉक्टर्स के लिए कृतज्ञता दिखाते हुए ये खास दिन मनाया जाता है।

अपने 42 वर्ष के चिक्तिसक के पेशे के रूप में मैंने हज़ारों मरीज़ देखे होंगे। उनसे मुझे अथाह प्यार और सामान मिला है जिसका कोई मोल नहीं। शायद यही मुझे अपने पेशे को एक सेवा के रूप में उसी ईमानदारी और लगन से अब तक प्रोत्साहित करती आई है।

अक्सर लोग हमें भगवान् का दर्जा देते है, पर हम भगवान् नहीं, मात्र इंसान ही तो है। ऐसे कई मरीज़ो को हमारे इलाज़ से आराम नहीं मिला होगा। ऐसा कई कारण से हो सकता है, पर यह बात तो यकीन से कह सकता हूँ कि कोई भी डॉक्टर जानभूझकर अपने मरीज़ के साथ इलाज़ में लापरवाही नहीं करता।

डॉक्टर और मरीज़ का एक विश्वास का रिश्ता है। इस आपसी विश्वास को बनाये रखना होगा तभी यह रिश्ता मधुर बनेगा।

आज के दिन मैं उन सब शिक्षक डॉक्टर्स को, अपने सीनियर और साथी डॉक्टर्स को तथा दुनिया भर के चिकित्सक को शुक्रिया कहता हूँ।

-डॉक्टर अश्विनी कुमार मल्होत्रा

डॉ. अश्वनी कुमार मल्होत्रा

मेरी आयु 66 वर्ष है । मैंने 1980 में रांची यूनीवर्सिटी से एमबीबीएस किया। एक साल की नौकरी के बाद मैंने कुछ निजी अस्पतालों में इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम किया। 1983 में मैंने पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज में बतौर मेडिकल ऑफिसर ज्वाइन किया और 2012 में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के पद से रिटायर हुआ। रिटायरमेंट के बाद मैनें लुधियाना के ओसवाल अस्पताल में और बाद में एक वृद्धाश्रम में काम किया। मैं विभिन्न प्रकाशनों के लिए अंग्रेजी और हिंदी में लेख लिख रहा हूं, जैसे द इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदुस्तान टाइम्स, डेली पोस्ट, टाइम्स ऑफ इंडिया, वॉवन'स एरा ,अलाइव और दैनिक जागरण। मेरे अन्य शौक हैं पढ़ना, संगीत, पर्यटन और डाक टिकट तथा सिक्के और नोटों का संग्रह । अब मैं एक सेवानिवृत्त जीवन जी रहा हूं और लुधियाना में अपनी पत्नी के साथ रह रहा हूं। हमारी दो बेटियों की शादी हो चुकी है।