कविता

घटा घनघोर

छा  गायघाता घनघोर
देख  देख नाचे मन मोर
धरती की है गंध प्यारी
महकेगी  बगिआ महकारी
पंछी भी मचाएंगे शोर
देख  देख नाचे मन मोर
बिजली की कौंध देख
धड़केगी ह्रदय की रेख
मचल उठेगा मन मोर
छा  गायघाता घनघोर
नन्हें बच्चों की किलकारी
वर्षा में लगती है प्यारी
मन में उठेगी हिलोर
छा  गायघाता घनघोर

— डा. केवलकृष्ण पाठक

डॉ. केवल कृष्ण पाठक

जन्म तिथि 12 जुलाई 1935 मातृभाषा - पंजाबी सम्पादक रवीन्द्र ज्योति मासिक 343/19, आनन्द निवास, गीता कालोनी, जीन्द (हरियाणा) 126102 मो. 09416389481