कविता

मोबाइल नहीं तो कुछ भी नहीं

वह डॉक्टर को दिखाने आई थी
छोटी-सी बिटिया को भी साथ लाई थी
वह तो अपनी बारी की
प्रतीक्षा कर रही थी
बिटिया क्या करे?
वह मोबाइल से दिल बहला रही थी
कभी कुछ कभी कुछ देख रही थी
पर बिना हिले-डुले
एक जगह बैठी तो थी!
बहुत देर हो गई मोबाइल से खेलते-खेलते
मां ने उससे मोबाइल ले लिया
बिटिया को तो कोई फर्क नहीं पड़ा
वह खुद मोबाइल हो गई
कभी इधर जाती, कभी उधर जाती
कभी टी.व्ही. को छेड़ती
तो कभी ए.सी. से हालचाल पूछती
मोबाइल से खेलते-खेलते
अब तक उसको भूख-प्यास नहीं लगी थी
पानी तो क्या पीना था
पानी से खेलने लग गई
वहां से हटाया तो भूख लग गई
खाने को बिस्कुट दिया
झट से खाकर फिर मोबाइल हो गई
हारकर मां ने उसे मोबाइल दे दिया
जो अब तक खुद मोबाइल थी
फिर मोबाइल से खेलने लग गई.
मोबाइल… लोगों के लिए
‘लाइफ पार्टनर’ से कम नहीं
बिस्तर से लेकर वॉशरूम तक
मोबाइल हर पल साथ ही रहता है
वह न दिखे तो चैन आता नहीं है
पढ़ना हो तो मोबाइल
खेलना हो तो मोबाइल
गाने सुनना हो तो मोबाइल
पिक्चर देखनी हो तो मोबाइल
शॉपिंग करनी हो तो मोबाइल
हालचाल पूछना हो तो मोबाइल
और कुछ नहीं तो
यों ही कोई नंबर डायल कर
किसी अंजान से गप्प लड़ानी हो तो मोबाइल
घरेलू सहायकों के पास मोबाइल
सब्जी-भाजी वाले के पास मोबाइल
रिक्शे-स्कूटर वाले के पास मोबाइल
ओला-ऊबर वाले के पास मोबाइल
इधर मोबाइल उधर मोबाइल
जिधर देखो मोबाइल ही मोबाइल
किसी ने पूछा
आप मोहब्बत चुनेंगे या फिर मोबाइल?
“मोबाइल बेवफा नहीं होता”
झट से जवाब मिला
“मोबाइल रहा,
तो मोहब्बत और भी मिल जाएगी”
फट से जवाब आया
“मोहब्बत जब दूर हो
तो मोबाइल काम आता है”
इस जवाब का भी जवाब नहीं
तात्पर्य यह निकला
को मोबाइल ही सब कुछ है
मोबाइल नहीं तो कुछ भी नहीं,
मोबाइल नहीं तो कुछ भी नहीं,
मोबाइल नहीं तो कुछ भी नहीं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “मोबाइल नहीं तो कुछ भी नहीं

  • *लीला तिवानी

    मोबाइल का सदुपयोग,
    अपने आप में बहुत अच्छी चीज है,
    आड़े समय में काम संवारता है, ज्ञान भी बढ़ाता है,
    मोबाइल का दुरुपयोग,
    अपने आप में बहुत बुरी चीज है,
    खुद का भी नाश करता, परिवार-देश-समाज का भी,
    मर्जी हमारी है, मोबाइल से हम बिगड़ना चाहते हैं या संवरना!

  • *लीला तिवानी

    चलते-चलते फोन चलाते हो, तो इस बंदे के साथ जो हुआ वो आपके साथ भी हो सकता है! न देख पाने के कारण एक खुले हुए होल में गिर जाता है. खुद ही देख लीजिए.

  • *लीला तिवानी

    चलती ट्रेन से चोर ने खींच लिया यात्री का मोबाइल, वीडियो देखकर बड़ी सीख मिलेगी
    एक शख्स ट्रेन के दरवाजे पर बैठा बड़ी ही मस्ती में कान पर हेडफोन लगाए हुए गाने सुने जा रहा था। तभी एक चोर ने चलती ट्रेन से ही उसका मोबाइल फोन छीन लिया।
    सावधानी बहुत जरूरी है.

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